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Friday, 2 June 2017

सांसद अश्वनी चोपड़ा के न्यूज बमों से भाजपा की राजनीति दहली

सांसद अश्वनी चोपड़ा के न्यूज बमों से भाजपा की राजनीति दहली
रामबिलास शर्मा पर अखबार के माध्यम से लगाए जा रहे हैं आरोप, चोपड़ा द्वारा अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारे जाने की चर्चाएं, शर्मा समर्थकों में भारी रोष, भाजपा में बड़ा धमका होने के आसार 

भिवानी।
 पत्रकारिता से राजनीति में आए करनाल से भाजपा सांसद अश्वनी चोपड़ा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा पर चलाए जा रहे न्यूज बमों से हरियाणा भाजपा की राजनीति दहल गई हैै। हरियाणा के राजनैतिक गलियारे में सांसद चोपड़ा के न्यूज बमों के चर्चे हैं। सांसद अश्वनी चोपड़ा के दिल्ली से प्रकाशित दैनिक अखबार ने शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के खिलाफ पिछले कई सप्ताह से सीरीज चलाई हुई है। खबरों में शर्मा के राजनैतिक कैरियर के कई पहलुओं को निशाने पर लिया हुआ है। शर्मा पर ताबड़तोड़ किए जा रहे शाब्दिक हमलों में उन पर अनेक तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। राजनैतिक चर्चाकारों का कहना है कि सांसद अश्वनी चोपड़ा को करनाल से अपना राजनैतिक भाविष्य असुरक्षित नजर आने लगा है। सूत्र कहते हैं कि सांसद के रूप मेें अश्वनी चोपड़ा अपनी जन छवि नहीं बना पाए हैं। इसका एक कारण यह बताया जाता है कि वेंं क्षेत्र के लोगों में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करवा पाए हैं। क्योकि वें अपने क्षेत्र में लोगों के बीच समय-समय पर आते हहोते हैं। दूसरे, चोपड़ा से कोई आदमी सुरक्षा कारणों से आसानी से नहीं मिल सकता। जबकि करनाल के लोगों ने पूर्व सांसद अरविंद शर्मा के समय को देखा हुआ है, जो अपने क्षेत्र के हर आदमी को नाम से पुकारता था और उसकी कोठी में आने जाने की हर आदमी को खुली छूट थी। ऐसे में आम आदमी और सांसद चोपड़ा में दूरी बनती चली गई। सूत्र बताते हैं कि अब सांसद चोपड़ा आने वाला लोकसभा चुनाव करनाल से अपनी पत्नी को लड़वाना चाहते हैं। क्योकि पंजाबी-ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट के लिए वें अपनी पत्नी किरण शर्मा चोपड़ा को फीट मानते हैं। श्रीमती किरण खुद ब्राहृमण परिवार से हैं और उनकी शादी चोपड़ा परिवार में हुई है। इसलिए वें इन दोनों वर्गों में ही प्रभावी होगी। इस पर एक प्लस प्वाईंट यह है कि पूर्व सांसद अरविंद शर्मा अभी किसी पार्टी में नहीं हैं। क्योकि विधानसभा चुनाव के समय वें कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल हो गए थे और अब उन्होने बसपा को भी अलविदा कह दिया। लेकिन सांसद चोपड़ा की योजना को बड़ा झटका उस वक्त लगा जब चर्चा चलने लगी कि रामबिलास शर्मा करनाल से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। इस चर्चा में यह भी शामिल है कि वें पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को भाजपा में ला रहे हैं।


पिछले दिनों करनाल में हुए कई कार्यक्रमों में शर्मा और अरविंद साथ-साथ दिखाई दिए। इससे चर्चाओं को ओर बल मिल गया। क्योकि यह तो स्पष्ट है कि रामबिलास शर्मा और अरविंद शर्मा का मेल करनाल क्षेत्र की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ सकता है। राजनीति से जुड़े सूत्र यह भी बताते हैं कि रामबिलास शर्मा पिछले लम्बे समय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की गुड-बुक में नहीं है। क्योकि शर्मा ने कई मौकों पर मुख्यमंत्री का समर्थन नहीं किया और वें चुपी साधे रहे। दूसरे, जब भी नेतृत्व परिवर्तन की बात चलती है तो रामबिलास शर्मा का नाम आगे आता है। कहते हैं कि इसी स्थिति का लाभ सांसद अश्वनी चोपड़ा ने उठाया। करनाल की राजनीति से जुड़े सूत्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री के मुखर विरोधी रहने वाले सांसद चोपड़ा ने अब अपना रूख बदल लिया है। अब वें मुख्यमंत्री पर शाब्दिक हमलों से बचते नजर आते हैंं। चर्चाएं तो यहां तक है कि करनाल संसदीय सीट को लेकर उन्होने मुख्यमंत्री को विश्वास में ले लिया है। सूत्र कहते हैं कि करनाल सीट को सुरक्षित करने के लिए सांसद चोपड़ा इन दिनों कद्दावर नेता रामबिलास शर्मा का प्रभाव कम करने की योजना पर काम कर रहे है। कहते हैं कि अखबार में रामबिलास शर्मा के खिलाफ चलने वाली सीरीज सांसद की इसी योजना का एक हिस्सा है। इस न्यूज सीरीज का उद्देश्य रामबिलास शर्मा की राजनैतिक छवि को धुमिल कर ब्राहृमण वर्ग मेें उनके प्रभाव को कम करना है। हालांकि गुस्साए शर्मा समर्थकों ने कई जिलों में इस अखबार की प्रतियां भी जलाई हैं। परन्तु सांसद चोपड़ा के अखबार ने यह सिलसिला जारी रखा हुआ है। दूसरी ओर शर्मा के एक कट्टर राजनैतिक विरोधी ने कहा है कि सांसद चोपड़ा अपने अखबार के माध्यम से औच्छी राजनीति पर उतर आए हैं। इस नेता का यह भी कहना है कि ऐसा कररने से अखबार और सांसद दोनों की छवि प्रभावित होती है। परन्तु अभी खुद रामबिलास शर्मा इस प्रकरण की उपेक्षा किए हुए हैं। लेकिन शर्मा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि उनके रणनीतिकार इस पर चिंतन कर रहे हैं। रणनीतिकारो की योजना सांसद चोपड़ा पर चारों ओर से घेरने की है। पार्टी, संगठन और जनता में प्रभावी रामबिलास शर्मा द्वारा लिए जाने वाले निर्णय हरियाणा की राजनीति में उबाल लायेंगे।

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