करनाल।
इन्द्री रोड़ स्थित उदीयमान तीर्थस्थल श्री आत्म मनोहर जैन आराधना मन्दिर में प्रतिष्ठित महाप्रभावी मनोकामनापूरक संकट मोचन श्री घण्टाकर्ण महावीर देवस्थान पर मासिक श्रद्धालु संगम के उपलक्ष्य में भक्ति-भावना, आस्था और समर्पण का अनूठा दृश्य दिखलाई दिया। सूर्योदय से देर सांझ तक अपनी मनोकामनाओं तथा लौकिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए श्रद्धालुओं की श्रद्धा साकार होती दृष्टिगोचर हुई। लम्बी कतारों में भक्तगण दैवी कृपा से अपनी झोलियां भरने की आशा से माथा टेकते भक्ति तथा समर्पण का अलौकिक एवं नयनाभिराम दृश्य सृजित करते हुए सभी को भावविभोर कर रहे थे।
श्री घण्टाकर्ण बीजमन्त्र के सामूहिक जाप से सभी के कष्टों का निवारण कर सुखमय और सकुशल जीवन के लिए आह्वान किया गया। साध्वी जागृति, अजय गोयल, वीरेन्द्र जैन, निशा जैन, प्रवीण जैन, मनीषा जैन, जयपाल सिंह, अनिता जैन, सुनीता जैन, राजेन्द्रा, रितु आदि ने अपने भजनों से समां बांध दिया और सभी को भक्तिरस में झूमने के लिए विवश किया। महुडी वाले ने जब से पकड़ा है मेरा हाथ, बदली है सारी दुनिया बदले हालात, मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सिर झुकाना, दया करो दादा मुझ पर कुछ तो दया करो आदि भजनों ने सभी को झूमने के साथ भक्ति में गुनगुनाने के लिए मजबूर किया।
महासाध्वी श्री प्रमिला जी महाराज ने कहा कि कर्णनगरी करनाल के असीम पुण्योदय से स्थापित इस सिद्धस्थान से हजारों भक्तों की मुरादें पूरी हुई हैं, रोगियों को स्वास्थ्य लाभ, विघ्नपीडि़तों को विघ्नों से छुटकारा तथा अनुकूलता की प्राप्ति हुई है। दैवी शक्तियां, अतीन्द्रिय शक्ति सम्पन्न होती हैं। व्यक्ति के शुभकर्म का साथ होने पर वे अनुकूलता पाने में सहायक बन जाती हैं। उनकी रहमत पाने के लिए श्रद्धा तथा अटूट विश्वास की जरुरत होती है। श्रद्धा से ही ज्ञान मिलता है, ज्ञान हासिल करके इन्द्रियों का नियमन सम्भव है। इन्द्रियों के निग्रह से ही परम शान्ति उपलब्ध होती है। भाग्य द्वारा कठोर परीक्षा लेने और भारी प्रतिकूलताओं के बावजूद भी श्रद्धा डांवाडोल न होने पर ही अनुपम दैवी कृपा होती है। श्री घण्टाकर्ण देव हिन्दू, जैन तथा बौद्ध परम्पराओं में विशेष स्थान प्राप्त सम्यग्दृष्टि देव हैं जिनमें उपद्रव निवारण, संकट समाधान, अभीष्टपूर्ति की अनूठी शक्ति है और उनकी भक्तिपूर्ण उपासना से लौकिक जीवन सुखमय और सुविधासम्पन्न हो जाता है।
आरती तथा प्रीतिभोज की सेवा का सौजन्य श्री बनारसी दास जैन, सैनी कालौनी, करनाल वालों का रहा। श्री घण्टाकर्ण देवता के जयनादों से समागम सम्पन्न हुआ।
इस देवस्थान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां सभी धर्मों तथा सम्प्रदायों के अनुयायी बिना किसी भेदभाव के दिव्याशीष से अपने जीवन की बगिया को सुख व फूलों से सुशोभित करने के लिए उपस्थित होते हैं।
सभी दर्शनार्थियों ने राष्ट्र संत वाचनाचार्य श्री मनोहर मुनि जी महाराज के नवनिर्मित गुरू समाधि मंदिर पर भी माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया।
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