Haryana
सिरसा में हसीनाओं के गिरोह का फैला मायाजाल!
सिरसा में हसीनाओं के गिरोह का फैला मायाजाल!
धनाढ्य युवाओं को हैं फांसती, चंगुल में फंसे युवा अपने ही घरों में सेंधमारी करने को हो जाते है मजबूर
सिरसा-
धनाढ्य युवाओं को हैं फांसती, चंगुल में फंसे युवा अपने ही घरों में सेंधमारी करने को हो जाते है मजबूर
सिरसा-
शहर में हसीनाओं का ऐसा गिरोह सक्रिय है जो अपने रूप जाल में धनाढ्य वर्ग के युवाओं को फांस रहा है। अमीर घरों के इन युवाओं को फांसकर इस कदर निचोड़ा जाता है कि चंगुल फंसे युवा अपने ही घरों में सेंधमारी करने को मजबूर हो जाते है। एक बार जो फंसा, वो निकल नहीं पाता। गिरोहबाज ब्लैकमेल की धमकी देती है, जिसकी वजह से फंसे हुए युवा मुंह तक नहीं खोल पाते।
लोगों को ठगने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जाते है, लेकिन सिरसा में सक्रिय हसीनाओं का तरीका कुछ अलग है। दूसरों की दौलत पर इंज्वाय करने वाली हसीनाओं के एक गिरोह में आधा दर्जन युवतियां शामिल है। जिनका शाही रहन-सहन धनाढ्य युवाओं की पॉकेट से वहन होता है। अपने रूप जाल में ये उन्हीं युवाओं को फांसती है, जिसके पास माल हो। शिकार तय करने के बाद उसके आसपास चक्कर लगाना, स्माइल देना देने शुरू होकर मिस कॉल से कहानी बातचीत तक पहुंचती है और इसके बाद एकांत में मिलने बुला लेती है। मीठी-मीठी बातों में फांसने के बाद फरमाईशों का दौर शुरू होता है। पहले महंगे मोबाइल की फरमाइश होती है और बाद में घरेलू सामान फ्रिज, एलसीडी की फरमाईश की जाने लगती है। एक फरमाईश पूरी होने पर दूसरी और दूसरी पूरी होने पर तीसरी फरमाईश का क्रम जारी रहता है। संबंध बनाए रखने के लिए युवा अपने घर-परिवार से चोरी-छिपे पैसे का बंदोबस्त करता है और जब वह फरमाईश पूरी करने से इंकार कर देता है तो उसके संबंधों का जगजाहिर करने करने की चेतावनी दी जाती है। इसके साथ ही झूठा मामला दर्ज करवाने का भी भय दिखाया जाता है। चंगुल में फंसे युवा पैसे का बंदोबस्त करने के लिए पहले यार-मित्रों से उधारी मांगते है, फिर ब्याज पर पैसा लेते है और आखिरकार घर में ही सेंधमारी करने को मजबूर हो जाते है। बताया जाता है कि इस गिरोह की शान-ओ-शौकत और रईसी ठाठबाट धनाढ्य युवाओं के बलबूते ही बनें हुए है। यह गिरोह एनजीओ का भी लबादा ओढ़े हुए है।
लोगों को ठगने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जाते है, लेकिन सिरसा में सक्रिय हसीनाओं का तरीका कुछ अलग है। दूसरों की दौलत पर इंज्वाय करने वाली हसीनाओं के एक गिरोह में आधा दर्जन युवतियां शामिल है। जिनका शाही रहन-सहन धनाढ्य युवाओं की पॉकेट से वहन होता है। अपने रूप जाल में ये उन्हीं युवाओं को फांसती है, जिसके पास माल हो। शिकार तय करने के बाद उसके आसपास चक्कर लगाना, स्माइल देना देने शुरू होकर मिस कॉल से कहानी बातचीत तक पहुंचती है और इसके बाद एकांत में मिलने बुला लेती है। मीठी-मीठी बातों में फांसने के बाद फरमाईशों का दौर शुरू होता है। पहले महंगे मोबाइल की फरमाइश होती है और बाद में घरेलू सामान फ्रिज, एलसीडी की फरमाईश की जाने लगती है। एक फरमाईश पूरी होने पर दूसरी और दूसरी पूरी होने पर तीसरी फरमाईश का क्रम जारी रहता है। संबंध बनाए रखने के लिए युवा अपने घर-परिवार से चोरी-छिपे पैसे का बंदोबस्त करता है और जब वह फरमाईश पूरी करने से इंकार कर देता है तो उसके संबंधों का जगजाहिर करने करने की चेतावनी दी जाती है। इसके साथ ही झूठा मामला दर्ज करवाने का भी भय दिखाया जाता है। चंगुल में फंसे युवा पैसे का बंदोबस्त करने के लिए पहले यार-मित्रों से उधारी मांगते है, फिर ब्याज पर पैसा लेते है और आखिरकार घर में ही सेंधमारी करने को मजबूर हो जाते है। बताया जाता है कि इस गिरोह की शान-ओ-शौकत और रईसी ठाठबाट धनाढ्य युवाओं के बलबूते ही बनें हुए है। यह गिरोह एनजीओ का भी लबादा ओढ़े हुए है।
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