करनाल
देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि वही इस चराचर जगत में शक्ति का संचार करती हैं। उनकी आराधना के लिये ही साल में दो बार बड़े स्तर पर लगातार नौ दिनों तक उनके अनेक रूपों की पूजा की जाती है। 9 दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व को नवरात्र कहा जाता है। जिसके दौरान मां के विभिन्न रूपों की पूजा आराधना की जाती है। इन नवरात्र को चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है।
सैक्टर पाँच रोड विकास नगर भनभौरी मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पंडित नरेश ने बताया कि साल में दो बार गुप्त नवरात्र ऐसे आते हैं जिनमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। यह साधना हालांकि चैत्र और शारदीय नवरात्र से कठिन होती है लेकिन मान्यता है कि इस साधना के परिणाम बड़े आश्चर्यचकित करने वाले मिलते हैं। चूंकि इस दौरान मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है इसलिये इन्हें गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है।
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कब होते हैं गुप्त नवरात्र
चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र के बारे में तो सभी जानते ही हैं जिन्हें वासंती और शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है लेकिन गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाये जाते हैं। गुप्त नवरात्र की जानकारी अधिकतर उन लोगों को होती है जो तंत्र साधना करते हैं।
क्या है गुप्त नवरात्र की पूजा विधि
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान भी पूजा अन्य नवरात्र की तरह ही करनी चाहिये। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा को घटस्थापना कर प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। वहीं तंत्र साधना वाले साधक इन दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं।
वर्ष 2017 में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र के रूप में मनाये जायेगें। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह नवरात्र 24 जून 2017 से लेकर 2 जुलाई 2017 तक रहेंगें। इस अवसर पर दैनिक पूजा के साथ-साथ हवन भी किया गया।
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