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Saturday, 17 June 2017

पंचायतों में हाल ही में खरीदें गए आर.सी.सी. बैंच गुणवत्ताओं को लेकर संदेह के घेरे में

 पंचायतों में हाल ही में खरीदें गए आर.सी.सी. बैंच
गुणवत्ताओं को लेकर संदेह के घेरे में

घरौंडा : 
        खंड की ग्राम पंचायतों में हाल ही में खरीदें गए आर.सी.सी. बैंच
गुणवत्ताओं को लेकर संदेह के घेरे में है। कई पंचायतों में तो ये बेंच
इस्तेमाल होने से पहले ही टुटने शुरू हो गए है। करीब एक माह पूर्व लगाए
गए इन बेंचों की हालत देखकर यह नही कहा जा सकता कि ये बेंच अभी-अभी
खरीदें गए है। ब्लॉक समिति व पंचायतों द्वारा खरीदें गए इन बेंचों में
भारी गोलमाल होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। जिससे सरकार को लाखों
रुपए का चूना लगाया गया है। ग्रामीणों ने बेंच के खरीदने में हुए
घपलेबाजी की निष्पक्षता से जांच की मांग की है।
         ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की सुविधाओं के लिए घरौंडा खंड के तहत आने
वाली पंचायतों ने बेंचों की खरीददारी की थी। जिसके लिए जिला प्रशासन ने
इनकी कीमत तय मापदंडों के अनुसार 3200 रुपए प्रति बेंच निर्धारित की थी
और इन बेंचों को निर्माणकर्ता द्वारा इसी कीमत में गांव तक पहुंचाना था।
इन आदेशों की पालना करते हुए तीन दर्जन से ज्यादा ग्राम पंचायतों ने
बैंचों की खरीददारी का काम शुरू कर दिया और देखते ही देखते हर गांव, गली,
मोहल्ले, चौराहों, तालाबों व नुक्कड़ों पर बेंच बिछे दिखाई देने लगे।
जिसके चलते अभी तक लगभग सभी ग्राम पंचायतों में 3 हजार से ज्यादा बेंच
खरीदे जा चुके है। ग्राम पंचायतों द्वारा अचानक बेंच खरीद गली, मोहल्लों
में लगाए जाने से ग्रामीणों के मन सवाल उठने शुरू हो गए है। ग्रामीण
संदीप कुमार फुरलक, मदन कुमार, प्रदीप सिंह, सोमपाल सिंह, जगपाल सिंह
शेखपुरा, रोहित सिंह बरसत आदि का कहना है कि ग्राम पंचायतें गांव की गली
व नालियों व अन्य काम को इतनी तेजी से नही करती, जितनी तेजी से बेंच
खरीदने का काम कर दिया है। बेंचों को खरीदने में ग्राम पंचायतों की अचानक
इस बाढ़ को लेकर ग्रामीणों में चर्चा शुरू हो गई कि अवश्य ही बेंचों की
खरीद में बड़ा गड़बढ़झाला है।
जरूरते से ज्यादा खरीदें गए बेंच-
        ग्रामीणों का कहना है कि जिस गांव में 20/30 बेंचों की जरूरत है, वहां
पर सैंकड़ों बेंच मंगवा लिए गए है। इतना नही बेंचों की खरीद में ब्लॉक
समिति भी पीछे नही रही। ग्रामीणों ने बताया कि बड़ी मात्रा में खरीदे गए,
इन बेंचों को ब्लॉक समिति व सरपंचों द्वारा सही जगह न रखवाकर अपने चहेतों
के यहां पर रखवा दिया है। जिससे बेंच रखते ही विरोध के स्वर उठने लगे।
जैसे-तैसे सरपंचों ने इन बेंचों को गांव में रखवा दिया, लेकिन कुछ दिन
बीतने के बाद ही इन बेंचों की गुणवत्ता सामने आ गई है। अनेक गांवों में
सैंकड़ों की तादाद में बेंच टुट चुके है, जिनको करीब एक माह पहले ही
खरीदा गया था। बेंचों की गुणवत्ताओं को लेकर ग्रामीणों में रोष पनपता जा
रहा है।
घटिया सामग्री से बने है बेंच-
        ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंचों द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर लागत
से कही ज्यादा बेंच खरीदे गए, ताकि बेंचों के माध्यम से मोटा कमीशन ऐंठा
जा सके। इतना ही नही, बेंचों का निर्माण इतनी घटिया सामग्री से किया गया
है, जो कुछ देर बाद बैठने से ही टुटने लगे है। कई बेंचों की जहां बेंचों
के सरिये दिखाई देने लगे है, वहीं कई बेंचों के हिस्से टूट-टूटकर नीचे
गिरने लगे है। ग्रामीणों का कहना है कि इन बेंचों की कीमत 1500 से 2000
रुपए प्रति बेंच है, जबकि जिला प्रशासन द्वारा इन बेंचों का रेट 3200
रुपए प्रति बेंच तय किया गया है। ऐसे में देखने वाली बात है कि क्या
वास्तव में ये बेंच सरकारी रेट और गुणवत्ता के अनुसार खरीदे गए है। क्या,
इन बेंचों को गांवों में पहुंचाने से पहले विभागीय अधिकारियों द्वारा
जांच करवाई गई थी। यदि बेंचों में इस्तेमाल की गई सामग्री के सेम्पल
भरवाए जाए तो पूरे गोलमाल की कलई खुल सकती है।
मिल रही है शिकायतें-बीडीपीओ
        बीडीपीओ राजेश शर्मा का कहना है कि ग्राम पंचायतों द्वारा बेंचों की
खरीददारी की गई है। अनेक गांवों में हाल ही में खरीदे गए बेंचों के टुटने
व निम्र गुणवत्ता के बेंच लगाए जाने की शिकायतें प्राप्त हुई है। मामले
को गंभीरता से लेते हुए जांच की जाएगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ
कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
फोटो केप्शन-गांव फुरलक में पंचायत द्वारा लगाए गए टुटे हुए बेंच

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