बेगमपुर का सरकारी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
शौचालयों पर लटके है ताले-
स्कूल के करीब 150 छात्रों के लिए 9 टायलेट बनाये गए है, लेकिन अध्यापकों ने स्कूल में बने शोचालयों पर ताले लगा रखे है। ऐसे में छात्र-छात्राएं खुले में शौच करने को मजबूर है। जिससे सरकार की ओडीएफ़ योजना को पलीता लग रहा है। ग्राम सरपंच का कहना है कि पंचायत ने छात्र संख्या के अनुसार पर्याप्त शौचालय बनाए है, लेकिन जब स्कूल के अध्यापक टॉयलेट पर ताले लगा कर रखेंगे तो छात्र मजबूरन खुले में शौच करेंगे। जब टॉयलेट पर लगे तालो के बारे में स्कूल हेड से पूछा गया तो आनन-फानन में शौचालयों पर लगे ताले खोले गए। छात्रों द्वारा खुले में शौच किये जाने पर सवाल पूछे जाने पर हेड टीचर विजय कुमार ने गलती स्वीकारते हुए भविष्य में टॉयलेट्स की तालाबंदी नही करने का आश्वासन दिया है।
पौष्टिक भोजन के नाम पर केवल नमकीन चावल-
ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल हेड मिडडे मील में जमकर हेराफेरी करते है। ग्रामीण मनोज रानी व सुनीता ने बताया कि शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार भोजन गैस चूल्हे पर बनाया जाना चाहिए, लेकिन यहां मिडडे मील का भोजन लकड़ी व उपलों के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि भोजन की गुणवत्ता भी मिड डे मील के मेन्यु के अनुसार नहीं होती। मिडडे मील इंचार्ज हर रोज नमकीन चावल या आलू चावल ही बच्चों को परोसते है, जिससे छात्रों का पौष्टिक भोजन नहीं मिलता। स्कूल हेड विजय कुमार ने बताया कि उनके पास गैस चूल्हा उपलब्ध नहीं है, इसलिए खाना चूल्हें पर बनाया जाता है,लेकिन भोजन मेन्यु के मुताबिक ही बनाया जाता है। गैस चूल्हे के लिए उन्होंने विभाग को डिमांड भेज रखी है ।
शिकायत करने पर सुसाइड की धमकी-
सरपंच प्रतिनिधि विकास कुमार का आरोप है कि स्कूल के बारे में शिकायत करने पर टीचर उन्हें सुसाइड करने की धमकी देते है। शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल हेड को मेंटली डिस्टर्ब बताकर पल्ला झाड़ लेते है। सरपंच का कहना है कि स्कूल की खामियों को लेकर वे खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक गुहार लगा चुके है, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। बीते माह जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल का दौरा किया था लेकिन उनके आदेशों की भी पालना स्कूल हेड ने नहीं की। सरपंच का कहना है कि स्कूल की शिकायतों को देखते हुए भाजपा निगरानी कमेटी के अध्यक्ष कविन्द्र राणा ने भी शिक्षा विभाग को स्कूल की दशा ठीक करने को कहा था लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई।
पंचायत खोलेगी अपना निजी स्कूल-
शिक्षा विभाग की उपेक्षा व स्टाफ के लापरवाह रैवये से खिन्न होकर ग्राम पंचायत ने गांव का सरकारी स्कूल बंद करने का फैसला किया है। ग्राम पंचायत ने स्कूल में सुविधाओं के लिए लाखों रुपये खर्च किये है, लेकिन अध्यापकों की लापरवाही से स्कूल बदहाल हो चुका है। सरपंच प्रतिनिधि विकास कुमार ने बताया कि गांव का सरकारी स्कूल बंद करने की योजना बना ली गई है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत एनजीओ की मदद से गांव में निजी स्कूल खोलेगी, ताकि सरकारी स्कूल के छात्रों को अच्छी शिक्षा दी जा सके। साथ ही पंचायत द्वारा खोले जाने वाले इस स्कूल में गरीब परिवारों के छात्रों को खास रियायतें व सुविधाएं दी जाएगी।
क्या बोले स्कूल हेड-
जब इस संबंध में स्कूल हेड विजय राठी से बात की गई तो उन्होंने माना कि शौचालयों पर तालाबंदी करने की गलती हुई है और भविष्य में इसका ख्याल रखा जायेगा। चौकीदार के लापरवाही के कारण बिल्डिंग की छत पर जलभराव हुआ, जिससे ईमारत में दरारे आई है। इसके लिए चौकीदार को वार्निंग दी गई है।
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