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Thursday, 11 May 2017

इन्द्री में चल रहे 25 दिवसीय योग प्रशिक्षण शिविर

इन्द्री में चल रहे 25 दिवसीय योग प्रशिक्षण शिविर में योग की बारीकियों की जानकारी दी गई
इन्द्री
                   ड़ा0 भीमराव अंबेेडक़र हर्बल पार्क में चल रहे 25 दिवसीय योग प्रशिक्षण शिविर में पंतजलि योगपीठ के करनाल जिला महिला प्रभारी राज रानी, इन्द्री महिला तहसील प्रभारी नीलम का बोज, तहसील प्रभारी पवन क बोज, संगठन मंत्री सोमा देवी, योग प्रचारक सुशील शर्मा, इन्द्री हल्का प्रभारी धर्मपाल आर्य, युवा योग शिक्षक बलराज का बोज, इन्द्री पतंजलि योग पीठ इंद्री के सरंक्षक पृथ्वी राज, योग शिक्षक विजय का बोज ने योग साधकों को योग की बारीकियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।  इस मौके पर योग साधकों को  जिला महिला प्रभारी राज रानी ने कहा कि योगा यास व प्राणायाम के नियमित करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।प्राणायाम श्वास का सचेतन और जान-बूझकर किया गया नियंत्रण और विनियमन है 7 हर श्वास में हम न केवल आक्सीजन ही प्राप्त करते हैं अपितु प्राण भी। प्राण ब्रह्माण्ड में व्याप्त ऊर्जा है, विश्व की वह शक्ति है जो सृष्टि-सृजन, संरक्षण और परिवर्तन करती है। यह जीवन और चेतनता का मूल तत्व है। प्राण भोजन में भी मिलता है, और इसीलिए स्वस्थ और संपूर्ण शाकाहारी खाद्य पदार्थ ग्रहण करना अति महत्वपूर्ण है। प्राणायाम शरीर में प्राण का सचेतन मार्गदर्शन, पौष्टिकता, शारीरिक विषहीनता और सुधरी रोग-निरोधक शक्ति में वृद्धि करता है, और उसी के साथ-साथ आन्तरिक शांति, तनावहीनता व मानसिक स्पष्टता भी प्रदान करता है। हमारे ग्रंथो  में कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की ल बी-अवधि का पूर्व-निर्धारण उसकी श्वासों की सं या से ही है। योगी पुरुष समय-सुरक्षित रखने का प्रयास करता है और अपने श्वास की गति धीमी रखकर जीवन को बढ़ाने, ल बा करने का प्रयत्न करता है। सभी आसन प्रकृति रूप से ही लाभ-प्रद अवस्थाओं को प्राप्त करने में उनकी सहायता करते हैं। आसनों का शरीर और मन पर दूरगामी प्रभाव होता है। उदाहरण के लिये, भुजंगासन से आक्रामक वृत्ति और भावुकता को दूर करना और शशांकासन (खरगोश) की अवस्था से विश्राम प्राप्त हो जाता है। सिर के बल किया जाने वाला शीर्षासन और पद्मासन (कमल-आसन) सर्वोत्तम आसन माने जाते हैं।आसन मांसपेशियों, जोड़ों, हृदय-तंत्र प्रणाली, नाडिय़ों और लसिका-संबंधी प्रणाली के साथ-साथ मन, मस्तिष्क और चक्रों (ऊर्जा-केन्द्रों) के लिए भी लाभदायक हैं। ये मन: कार्मिक व्यायाम हैं जो स पूर्ण नाड़ी-प्रणाली को सशक्त करने और संतुलित करने के साथ-साथ आसन-कर्ताओं के मन-मस्तिष्क को भी शांत और स्थिर रखते हैं। इन योगासनों का प्रभाव संतोषी-वृत्ति, मन की सुस्पष्टता, तनावमुक्ति और आन्तरिक स्वतंत्रता और शांति में परिलक्षित होता है।दैनिक जीवन में योग प्रणाली इस प्रकार से निर्धारित की गई है जिसमें साधारण प्रारंभिक अ यासों से अधिक विशिष्ट और कठिन आसनों तक पहुँचा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप शरीर को क्रमिक और चरण-बद्ध रूप से तैयार कर अंत में विश्राम अवधि भी शामिल की जाती है तथा यही क्रम हर आसन-अ यास के मध्य भी रहता है। विश्राम की योग्यता का विकास करने से प्रत्येक व्यक्ति में अपने शरीर के प्रति अनुभूति गहरी होती जाती है जो सभी योगा यासों के सही संपादन के पूर्व की आवश्यकताएं हैं। केवल इसी प्रकार, आसनों के प्रभावों को पूर्ण रूप में देखा जा सकता है।आसनों का उद्देश्य भीतर संग्रहीत ऊर्जा या तनाव को गति में परिवर्तित कर देना ही न हो कर, प्रत्येक गति या तनाव-मुक्ति का अ यास करते समय शारीरिक व मानसिक प्रक्रिया को ध्यान-पूर्वक देखते हुए, शरीर और मन, बुद्धि में सामंजस्य बनाना है। आसनों के करने से शरीर थकता या अकर्मण्य नहीं होता है। इसके उल्टे, ऊर्जा पुनर्जीवित, सक्रिय हो जाने के कारण व्यक्ति को आराम मिलता है और वह तरो-ताजा हो जाता है।
        इस अवसर पर विनोद कांबोज, मुकेश मंगला, रोशन लाल गोयल, तरूण मेहता, हरीश मलहोत्रा, बल्ली, अमन कुमार, रामकुमार, अनाज मंड़ी प्रधान रघुबीर बतान, शशि गुप्ता, सुषमा कांबोज, नेहा अग्रवाल, नीलम कांबोज, प्रेमलता सहित काफी सं या में लोग मौजूद रहे।  

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