चकबंदी पीडि़त पांच गांवों के किसान मिले डीसी से, जल्दी जमीन वापिस दिलाने की मांग की
करनाल 3 जुलाई : प्रवीण कौशिक
किसानों ने कहा अब कार्यवाही में देरी क्यों? खरीदी हुई जमीन जल्दी वापिस दी जाए ताकि समय रहते किसान अपनी जमीन पर जीरी की फसल लगा सके।
चकबंदी का दंश झेल रहे चकबंदी पीडि़त पांच गांवों के किसानों को कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार न्याय मिल ही गया। चकबंदी पीडि़त किसान 2013 से अपनी खरीदी हुई जमीन भूमाफियाओं के चंगुल से छुड़ाने के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे थे। 2013 से शुरु हुए इस आंदोलन में पीडि़त किसानों ने सैंकड़ों बार धरने प्रदर्शन, अर्धनग्न प्रदर्शन यहां तक रेल ट्रेक भी जाम किया था लेकिन 2013 से अब तक किसानों को कुछ नहीं मिला। सिर्फ तारीक पर तारीक मिल रही थी। किसानों को इस आंदोलन के दौरान सैंकउ़ों पीडि़त किसानों, महिलाओं और बच्चों को भी जेल जाना पड़ा था। अमृतपुर कलां व अमृतपुर खुर्द के भूमाफियाओं का 2013 से अब तक प्रशासन व चकबंदी अधिकारियों पर कब्जा था। भूमाफिया जो चाहे अधिकारियों से अपनी मनमर्जी से काम करवाते थे और धोखे से पीडि़त किसानों से सारी जमीनें अधिकारियों व पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से किसानों की सारी जमीन पर कब्जा कर रहे थे। जब पीउि़त किसानों ने इन्हें रोकने की कोशिश की और अपनी आवाज उठाई तो भूमाफिया ने पुलिस की मदद से पीडि़त किसानों से मदद से 2013 से ताबड़तोड़ चार मुकदमें दर्ज करवाए थे। जिसकी वजह से पीडि़त किसानों को बड़ी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। यह मुकदमें भूमाफियाओं ने जानबूझकर स्कूल में पडऩे वाले छोटे बच्चों, सरकारी टीचरों पर दर्ज करवाए थे ताकि इनके दबाव में आकर किसान अपनी खरीदी हुई जमीन छोडकऱ कहीं और चले जाएं। लेकिन पीडि़त किसान इन मुकदमों से नहीं घबराए बल्कि कोर्टो में इन सबका सामना किया। और कड़े संघर्ष के बाद सरकार ने इन सारे केसों को वापिस ले लिया। यहां भी यह एक सच्चाई की बहुत बड़ी जीत हुई थी।
किसानों ने कहा पूर्व की सरकारों ने किसानों की कोई सुनवाई नहीं की बल्कि किसानों को जेल में डालने का काम किया और किसानों के ऊपर लाठियां बरसाई और पूर्व की सरकारों ने भी भूमाफिया का ही साथ दिया था। लेकिन अब सरकार बीजेपी की है। बीजेपी सरकार आते ही पीडि़त किसानों की पूरी सुनवाई हुई। पीडि़त किसान सीएम श्री मनोहर लाल खट्टर से मिले। सीएम साहब ने किसानों से वायदा किया था कि अब आपको न्याय मिलेगा और अब वैसा ही हुआ आखिरकार चार पांच सालों में किसानों को न्याय मिल ही गया। पिछले शुक्रवार को रोहतक कमीशनर की कोर्ट ने यह फैसला सुना ही दिया। यह एक ऐतिहासिक फैसला था। इसमें गरीब किसानों की बहुत बड़ी जीत हुई। कोर्ट ने भूमाफिया के मुंह पर एक करारा तमाचा लगाया है। इस फैसले से पीडि़त किसान, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग खुश हैं। पांचों गांवों में इस फैसले से खुशी की लहर है और पीडि़त किसानों ने सरकार का धन्यवाद किया। किसान नकली राणा, राजबल राणा, अकल सिंह, महीपाल, सुनील चोपड़ा, परमवीर आर्य, नरेन्द्र मराठा ने सरकार से मांग की है कि अब इस मामले में देरी नहीं होनी चाहिए। जल्दी पीडि़त किसानों को कब्जे दिलाए जाएं ताकि किसान अपने खेतों में जीरी की फसल लगा सके। अगर इस मामले में अब देरी हुई तो जीरी की फसल का समय निकल जायेगा। पीडि़त किसानों ने कहा कि अब जल्दी इस मामले में एक महापंचायत बुलाई जाएगी यह पंचायत चकबंदी संयोजक प्रदीप कालरम के निवास पर होगी। इस पंचायत में आगे की रणनीति पर विचार किया जायेगा। आज किसान सैंकड़ों की संख्या में लघु सचिवालय में डीसी करनाल से मिले और मांग की कि इस मामले में जल्दी कार्यवाही की जाए। डीसी करनाल ने पीडि़त किसानों को आश्वासन दिया कि आर्डर की कॉपी मिलते ही तुरंत कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी। इस पूरे मामले की कमेटी के अध्यक्ष व चकबंदी संयोजक प्रदीप कालरम ने कहा है कि फैसला आने में बेशक देरी हुई हो लेकिन जीत सच्चाई की हुई है। यह फैसला पांच साल बाद आया है और चकबंदी पीडि़त पांच गांव कालरम, अराईपुरा, भरतपुर, लालूपुर और अमृतपुर कलां के किसानों की जीत हुई है। इस जीत के लिए प्रदीप कालराम ने बीजेपी सरकार, सीएम साहब, ओएसडी भूपेश्वर दयाल और डीसी करनाल का धन्यवाद किया है। प्रदीप कालराम ने कहा अगर बीजेपी सरकार न आती तो पीडि़त किसानों को कभी भी न्याय नहीं मिलता। प्रदीप कालराम ने सीएम साहब व डीसी साहब से मांग की है कि कमीशनर रोहतक के आर्डर के अनुसार भ्रष्ट अधिकारियों पर जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाही की जाए ताकि गरीब आदमियों को आगे भी न्याय मिल सके।
इस मौके पर चकबंदी संयोंजक प्रदीप कालरम, सुनील चोपड़ा, नरेन्द्र मराठा, श्रीराम मराठा, पाला राम, राम कुमार, कृष्ण, सतपाल, ईश्वर, मैनपाल राणा कालरम, जयपाल शर्मा, रूहला सिंह अमृतपुर खुर्द आदि मौजूद थे।
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