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Wednesday, 12 July 2017

महामहिम राज्यपाल --भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और वसुधेव कुटुम्बकम के मार्ग पर चलते हुए प्रत्येक भारतीय पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानता है और हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं

जाति और धर्म से बड़ा भाईचारा होता है और आपसी भाईचारे की भावना और एकता में अनेकता भारतीय संस्कृति की अनूठी पहचान है।
पानीपत, 12 जुलाई। प्रवीण कौशिक
अखिल भारतीय रोड़ महासभा की ओर से अखिल भारतीय रोड़ महासभा के 60वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्यअतिथि हिमाचल के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा हैफेड के चेयरमैन एवं विधायक हरविन्द्र कल्याण ने की और अखिल भारतीय रोड़ महासभा के प्रधान नसीब कारसा ने सभा की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिला प्रशासन की ओर से अतिरिक्त उपायुक्त राजीव मेहता ने बुके देकर महामहिम का स्वागत किया। इस प्रतिभा सम्मान समारोह में रोड़ समाज के 133 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं और लगभग 50 प्रतिभाशाली व्यक्तियों को सभा की ओर से मुख्यअतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। समारोह का शुभारम्भ मॉ सरस्वती ओर स्वामी ब्रहानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्जवलित करके हुआ और वन्दे मात्रम, ऊं-तत्शत, जय ब्रहानंद और जयहिन्द से भवन बार-बार गुंजायमान होता रहा। मुख्यअतिथि ने रोड़ समाज की अधिकतर मांगो को मौके पर ही स्वीकार कर लिया। मुख्यअतिथि ने मेरा जीवन नामक पुस्तक का भी विमोचन भी किया। 
समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और वसुधेव कुटुम्बकम के मार्ग पर चलते हुए प्रत्येक भारतीय पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानता है और हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं और सभी के खून का रंग लाल है। इसलिए जाति और धर्म से बड़ा भाईचारा होता है और आपसी भाईचारे की भावना और एकता में अनेकता भारतीय संस्कृति की अनूठी पहचान है। स्वामी दयानंद ने गूजरात में जन्म भले ही लिया हो लेकिन उत्तर भारत ने आर्य समाज को तेजी से अपनाया और स्वामी ब्रहमानंद की विचारधारा भी पूरी तरह आर्य समाज के सिद्धांतों से मिलती है। स्वामी ब्रहमानंद ने जहां महिला शिक्षा और आपसी भाईचारे की भावना को बढावा दिया वहीं नशाप्रथा, छुआछुत, ऊंच-नीच को नकारा था लेकिन आज के वर्तमान दौर में भी स्वामी ब्रहमानंद के विचारो की प्रसांगकिता बरकरार है। 
 इसलिए हमें ऋषि दयानंद व स्वामी ब्रहमानंद के बताए मार्ग पर चलते हुए अपने बच्चों को जहां उच्चकोटि की शिक्षा दिलवानी चाहिए, वहीं बच्चो को उच्चकोटि के संस्कार भी दिए जाने चाहिएं जिसकी विश्व को आज सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया बहुत तेजी से विकास कर रही है। विकास की इस दौड़ में जो पीछे छूट जाएगा वह हमेशा पीछे ही रहेगा। 
उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है। देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम युवाओं की है। इस मानव शक्ति का सदुपयोग करना समय की सबसे बड़ी मांग है आज जिन प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया है उनमें 90 प्रतिशत संख्या बेटियों की है जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढाओ के अभियान को सफल बनाने की मुहिम कामयाब होती नजर आती है लेकिन पति-पत्नी परिवार रूपी गाड़ी के दो समान पंहियें होते हैं, यदि एक पंहिया छोटा हो तो गाड़ी को दोड़ाना कठीन कार्य है। इसलिए लडक़ों को भी आज इस राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान समारोह से प्रेरणा लेनी चाहिए और अगले वर्ष इस समरोह में ओर अधिक लडक़ों को सम्मान प्राप्त करने का अवसर दिया जाना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि रोड़ महासभा के अधीन उत्तर भारत के बड़े शहरों में अनेक धर्मशालाएं हैं और इसलिए इन धर्मशालाओं के माध्यम से महिला शिक्षा, गौ रक्षा, नशामुक्ति, वेद प्रचार, देशभक्ति और भरतीय संस्कार कार्यशालाएं आयोजित करके लोगों को ओर अधिक प्रेरित करना चाहिए ताकि एक चरित्रवान राष्ट्र का निर्माण हो सके। इसके अलावा रोड़ समाज के ही नही अन्य समाज के प्रतिभाशाली गरीब परिवारों के बच्चों के लिए भी सहायता शिविर लगाए जाने चाहिए ताकि किसी भी हौनहार बच्चे को किसी भी प्रकार के अभाव का सामना ना करना पड़े। इस समाज को जहां बच्चों को रोजगार परख शिक्षा दिलवानी चाहिए वहीं उंची सेवाओं के लिए सभी धर्मशालाओं में कौचिंग सेंटर स्थापित करने चाहिए ताकि गरीब परिवारों के हौनहार बच्चें आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, एचसीएस और पीसीएस जैसी परिक्षाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग दें सकें। उन्होंने कहा कि यूं तो उत्तर भारत के सभी प्रदेशों में रोड़ समाज रहता है लेकिन कुरूक्षेत्र के चारो तरफ इनकी आबादी अधिक है। मेरा सारा जीवन कुरूक्षेत्र में ही बीता है और इस समाज ने मुझे जो प्यार, सहयोग और सम्मान दिया है उसके लिए मैं हमेशा इस समाज का ऋृणि रहूंगा। समारोह में सभी वक्ताओं ने पूर्व विधायक स्व0 बाबू अन्नतराम कुरूक्षेत्र, चौ0 मुलतान सिंह, पूर्व स्पीकर ईश्वर सिंह, शिवराम आर्य और चौ0 चन्दा सिंह बुटाना को याद किया। 
समारोह की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा हैफेड के चेयरमैन एवं विधायक हरविन्द्र कल्याण ने मुख्यअतिथि का समारोह में आने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आचार्य देवव्रत ने भारतीय मुल्यों की स्थापना और वेद प्रचार में अपना सारा जीवन लगा दिया है। गुरूकुल प्रणाली और आधुनिक शिक्षा का अनुठा संगम उनके सहयोग से संचालित सभी गुरूकलों में साफ दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि उनके इन्हीं प्रेरणादायी कार्यो के कारण ही उन्हें हिमाचल का महामहिम राज्यपाल बनाया गया है। वेद प्रचार के लिए आचार्य देवव्रत हरियाणा के ही नही पूरे भारत के गौरव हैं जिन्होंने अपने 7 सूत्रिय अभियान के माध्यम से भारतीय संस्कृति को पुन: स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इस समाज के लिए जितनी योजनाएं, घोषणाएं और विकास राशि इतने कम समय में मौजूदा सरकार ने दी हैं। उतनी पूर्व की किसी भी सरकार ने नही दी। सरकार ने जहां कुरूक्षेत्र के विकास को बढावा दिया वहीं अंजथली में महिला कॉलेज, अंजथली में ही बागवानी विश्व विद्यालय स्थापित करने की घोषणा और एचसीएस में समाज के प्रतिभाशाली नवयुवकों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश व प्रदेश में ईमानदारी का शासन चलता है। प्रत्येक कार्य में पूरी तत्परता व पारदर्शिता की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। इसलिए हम सभी को हरियाणा सरकार की कल्याणकारी नितियों को सफल बनाने में भरपूर सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातिवाद, भाई-भतिजावाद देश के विकास में सबसे बड़ी रूकावट है। इसलिए अखिल भारतीय रोड़ महासभा ने अनेक शिक्षण संस्थाएं स्थापित करके शिक्षा के माध्यम से इन सभी बुराईयों को समाप्त करने का बीड़ा उठाया है और मुझे आशा है कि समाज इस मुहिम को सफल बनाने में भरपूर सहयोग देगा। 
इससे पूर्व स्वामी ब्रहानंद स्कूल उटला की छात्राओं ेन स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया। 
इन छात्राओं को मुख्यअतिथि ने मौके पर ही सम्मानित किया। उपप्रधान एडवोकेट निर्मल सिंह, रौशनलाल महला, चौ0 ईश्वर सिंह, शमसेर सिंह, यशपाल सिंह, राजबीर सिंह, ज्ञानीराम, धनपत आर्य, डा0 फतेह सिंह, कहरसिंह चौपड़ा, अशौक चौहान, सुरजीत सूभरी, आईएएस अशौक चौहान, सुमेर सिंह प्राचार्य, राजकिशन, रणजीत सिंह, कैप्टन रामरत्न, चौ0 सुलतान सिंह, निरज चौपड़ा, सूनिल कुमार, सुमेर, जयप्रकाश, अशोक अमीन, पूर्व चेयरमैन राजबीर, डा0 विपिन बतान, संदीप दहिया, प्रबंधक विरेन्द्र करनाल, महाबीर अहर व ज्ञानीराम मौजूद रहे। 

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