कहां कितना कराया विकास, रिकॉर्ड नगर निगम के पास नहींकहां कितना कराया विकास, रिकॉर्ड नगर निगम के पास नहीं
करनाल :
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी देने में नगर निगम के पसीने छूट रहे हैं। तय समय तो दूर की बात करीब दो महीने बाद भी अधूरी जानकारी ही मुहैया करवाई गई। अहम बिंदुओं को शायद जानबूझकर दरकिनार करना आदत में शुमार हो चुका है। जानकारी देने में लीपापोती इस बात का सबूत है कि आरटीआइ को लेकर अधिकारी कितने संजीदा हैं।
विकास कार्यों जैसे आम मुद्दों को भी सार्वजनिक करने से कतराना बड़े सवाल खड़े कर रहा है। जानकारी देने में देरी आखिर क्यों..? इसका जवाब देने को कोई तैयार नहीं। अधिकारियों की मानें तो जानकारी पुरानी और भारी भरकम है। पूरे रिकॉर्ड की इंस्पेक्शन करनी पड़ेगी। हर साल लोग बदलते रहते हैं। एक साल में सैकड़ों की संख्या में फाइलें तैयार होती हैं। जिम्मेदार अधिकारी ने दो महीने बाद चार की बजाय एक साल का लेखा जोखा दिया तो जरूर, लेकिन उसे भी मौखिक रूप से ही बताया। कारण पूछा तो उत्तर और हैरान करने वाला। कहा कि कंप्यूटर खराब है, इसलिए ¨प्रट फीका आ रहा है। इसे देखकर लगता कि नगर निगम में सरकार के नियम और कायदे लागू नहीं होते। पूरी व्यवस्था रामभरोसे है।
बार-बार कटवाए चक्कर, जानकारी देने में आनाकानी
दैनिक जागरण की ओर से शहर के हाउस की बैठक में पास प्रस्ताव और शहर में कराए विकास को लेकर तीन फरवरी को 10 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी। करीब एक महीने बाद पूरी जानकारी के 222 पेज बताकर 444 रुपये मांगे गए। राशि जमा कराई तो करीब 20 दिन बाद पत्र आया कि रिकॉर्ड बड़ा है इसकी जानकारी लिखित में संभव नहीं है, आफिस में संपर्क करें। करीब दस दिन तक चक्कर कटाए गए और अंत में एक साल का मौखिक रूप से रिकॉर्ड देकर इतिश्री कर ली गई। हाउस की बैठक में कौन-कौन से प्रस्ताव पास किए बताया गया, लेकिन नगर निगम बनने के बाद किस वार्ड में कितनी राशि खर्च की इसके जानकारी देने में आनाकानी की जा रही है।
¨हदी की बजाय अंग्रेजी को तवज्जो
आरटीआइ में साफ तौर पर मांग की गई थी कि पूरी जानकारी ¨हदी में दी जाए, लेकिन नगर निगम के असिस्टेंट हरपाल ने पदों की जानकारी को ¨हदी की बजाय अंग्रेजी में ही देना उचित समझा। जबकि सरकार ¨हदी पखवाड़े मनाकर और नियम बनाकर हार चुकी है। नगर निगम में आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत लगे कर्मचारियों का ब्योरा मांगा तो बोले कि इसे बस आरटीआइ के तहत ही दिया जा सकता है। यानि कोई भी जानकारी चाहिए तो आरटीआइ ही लगानी पड़ेगी।
एक्सईएन महिपाल से सीधी बात
सवाल : आरटीआइ के तहत तय समय में जानकारी क्यों नहीं दे पाए?
जवाब : जानकारी पुरानी और भारी भरकम है। पूरे रिकॉर्ड की इंस्पेक्शन करनी पड़ेगी।
सवाल : तो नगर निगम ने किस वार्ड में कितना विकास कराया इसकी जानकारी नहीं मिलेगी?
जवाब : हर साल लोग बदलते रहते हैं। एक साल में सैकड़ों की संख्या में फाइलें तैयार होती हैं। किसी विशेष काम की जानकारी चाहिए तो बताओ।
सवाल : आपने वार्डो पर खर्च का एक साल का लेखा जोखा मौखिक रूप से क्यों दिया, लिखित में देने से मना क्यों?
जवाब : हमारा कंप्यूटर खराब है। ¨प्रट फीका आ रहा था। इसलिए मौखिक रूप से बताया गया है।
नगर निगम में आरटीआइ की जानकारी के हिसाब से ब्रांच अलग-अलग हैं। इस आरटीआइ के 7,8 व 9 ¨बदू की जानकारी इंजीनिय¨रग ¨वग से संबंधित है। इसका जवाब देना एक्सईएन महिपाल की ही जिम्मेदारी है।
धीरज कुमार, कार्यकारी, नगर निगम, करनाल।
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