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Monday, 24 April 2017

आर्य स्कूल व पार्थ पब्लिक स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जमकर बवाल काटा।



निजी स्कूलों ने नियम 134-ए की धज्जियां उड़ाने के साथ-साथ
कमजोर छात्रों व अभिभावकों को टार्चर कर

बेटी को पढ़ाना है तो सरकार को बोले कि बच्चों को जेबों में हर महीने
दो-तीन हजार रूपये डाले-प्रिंसिपल
सवाल-जवाब किया तो, स्कूल से बाहर निकाला-अभिभावक
घरौंडा: प्रवीण कौशिक
निजी स्कूलों ने नियम 134-ए की धज्जियां उड़ाने के साथ-साथ एडमिशन लेने
वाले आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों व अभिभावकों को टार्चर करना शुरू कर
दिया है। निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ लामबंद होकर अभिभावकों ने खंड
मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हंगामा करते हुए पार्थ पब्लिक स्कूल व
आर्य पब्ल्कि स्कूल के खिलाफ लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की।
अभिभावकों का आरोप है कि सरकार के आदेशो के बावजूद में प्राइवेट स्कूलों
की मंशा ठीक नहीं है और निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस की डिमांड कर रहे
है और फीस न देने की एवज में बच्चे को फेल करने की धमकी भी देते है।
जिससे 134-ए के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों का भविष्य खतरे में है।
सोमवार को निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए चक्कर काटने के बाद अभिभावक
अपने बच्चों के साथ खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचें, जहां
उन्होंने आर्य स्कूल व पार्थ पब्लिक स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को
लेकर जमकर बवाल काटा। बीईईओ कार्यालय में लगभग डेढ घंटे तक बीईईओ व
अभिभावकों के बीच वाद-विवाद चलता रहा। अभिभावकों ने अधिकारियों के सामने
खुलकर अपनी समस्याएं रखी और निजी स्कूलों पर मनमानी व नाजायज तौर पर
परेशान करने के आरोप लगाए। अभिभावक मनीष कुमार, अरुण, बलबीर ,राजकुमार,
ब्रहम सिंह, प्रवीन कुमार, , गुलाब का कहना है कि एक तरफ प्रदेश सरकार
गरीब बच्चों को 134-ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के सपने दिखा
रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है। अधिनियम 134-ए के तहत परीक्षा
पास करने के बाद उनके बच्चों को आर्य पब्लिक स्कूल और पार्थ पब्लिक स्कूल
अलॉट किए गए थे। जब वे वहां पर एडमिशन करवाने के लिए पहुंचें तो उनसे
स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों का दोबारा टेस्ट लेने और स्कूल फीस व अन्य
चार्ज देने की मांग की, जब उनकी इस बात का विरोध किया, तो प्रबंधकों का
कहना था कि यदि आप स्कूल में फीस व अन्य फंड नही देंगे तो आपके बच्चे पर
कोई ध्यान नही दिया जाएगा, यदि बच्चा फेल होता है तो स्कूल की कोई
जिम्मेदारी नही होगी, बच्चे के फेल होने की जि म्मेदारी अभिभावकों की
होगी।
स्कूल में करवाया जाता है इंतजार-
  अभिभावकों का कहना है कि उनको स्कूल में कई कई घंटों तक बैठाया जाता है
और वे 134-ए के तहत स्कूल अलॉट होने की बात कहते है, तो उनको स्कूल से
बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। अभिभावकों का कहना है कि अभी तक उनके
बच्चों का अलॉट स्कूलों में दाखिला नही हो पाया है और स्कूलों का
अधिकत्तर स्लेबस हो चुका है, लेकिन उनके बच्चों के बैगों में अभी तक
किताब भी नही पहुंची और बैग पूरी तरह से खाली पड़े है। गुस्साएं
अभिभावकों का कहना है कि प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को पूरी तरह से टॉर्चर
कर रहे है, लेकिन प्रशासन मौन बैठा है।  पहले बच्चे ने 134-ए के तहत
एग्जाम दिया और फिर बच्चे को एडमिशन के टाईम पर भी एग्जाम देने को कह रहे
है। यदि स्कूलों में 134-ए के बाद फीस व टेस्ट देना पड़ेगा, तो अधिनियम
का कोई औचित्य नही है। ऐसे में सरकारी डंडे के डर से गरीब छात्रों को
एडमिशन देने वाले निजी स्कूल छात्रों को पढ़ाने की मंशा कतई नहीं रखते।
निजी स्कूलों की इस छुआछुत से छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लग सकता है।
बच्चा फेल होता है तो हमारी जिम्मेदारी नही-
134-ए के तहत आर्य पब्लिक स्कूल में अपनी बेटी स्वाति का एडमिशन सातवीं
कक्षा में करवाने वाली महिला स्नेहा ने बताया की स्कूल के प्रिंसिपल और
डायरेक्टर ने साफ़ कहा कि वे गरीब छात्रों का एडमिशन तो ले लेते है,
लेकिन न तो उनका होमवर्क चेक करते है और न ही कोई काम करवाते है, ऐसे में
बच्चा फेल होगा तो आपकी जि मेवारी होगी। इस बाबत जब वह स्कूल के
डायरेक्टर से मिली तो उन्होंने जवाब दिया कि मुफ्त में उनका स्कूल छात्रा
पर कोई ध्यान नहीं देगा। बेटी को पढ़ाना है तो सरकार को बोले कि बच्चों
को जेबों में हर महीने दो-तीन हजार रूपये डाले।
सवाल-जवाब किया तो, स्कूल से बाहर निकाला-अभिभावक
वहीं पार्थ पब्लिक स्कूल में एडमिशन के लिए गई शालू ने बताया की स्कूल की
प्रबन्धक ने कहा कि उनके स्कूल में बच्चे पढ़ाने के लिए चार हजार रूपये
एडमिशन फ़ीस हर महीने पन्द्रह सौ रूपये फीस व तीन सौ रूपये बस चार्जिज तो
देने पड़ेगे। अभिभावकों के सवाल जवाब करने पर प्रबंधको ने उन्हें स्कूल
से बाहर निकाल दिया।
खाली बस्ते उठाये घूम रहे है छात्र-134-ए के एडमिशन पर निजी स्कूलों के रैवेये से भडक़े अभिभावक शालू,
स्नेहा, गुलाब, प्रवीन व अन्य अभिभावकों का कहना है कि सरकार छात्रों को
शिक्षा का उचित प्रबंध करे, नहीं तो यह ड्रामा बंद कर दे। उन्होंने कहा
की एक महीने का समय बीत चुका है और उनके बच्चे खाली स्कूल बैग लिए धक्के
खाने को मजबूर है। यदि सरकार निजी स्कूलों पर नकेल नहीं लगा सकती, तो
सरकारी स्कूलों का शिक्षा स्तर अच्छा करे ताकि लोगो को निजी स्कूलों के
चक्कर न काटने पड़े।
निजी स्कूलों पर होगी कार्रवाई-बीईईओ
खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी महावीर सिंह का कहना है कि पार्थ पब्लिक स्कूल
व आर्य स्कूल के खिलाफ शिकायत मिली है। जो भी निजी स्कूल 134-ए के नियमों
का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसे स्कूल की मान्यता
भी रद्द की जा सकती है।

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