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Tuesday, 25 April 2017

रतनमान-कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट से पल्ला झाड़ा भाजपा ने :


by-PARVEEN KAUSHIK
भाकियू ने उठाए भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक पर सवाल
कार्य समिति की बैठक के नाम पर लाखो फूंक दिए भाजपा ने 
करनाल, 25 अप्रैल : 
 भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा है कि किसान मजदूर की कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के नाम पर सत्ता में आई भाजपा ने अढ़ाई साल में इन दोनों मुद्दो से दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसानो और मजदूरों के नाम पर घडिय़ाली आंसू बहा रही है। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी का विरोध अन्दर और बाहर बढ़ रहा है। उसे दबाने के लिए भाजपा ने लाखो रुपए खर्च कर कार्य समिति की बैठक की। किसानों के सामने इस पार्टी का असली चेहरा सामने आ चुका है। प्रदेशाध्यक्ष रतनमान व जिला सरंक्षक मेहताब कादियान आज पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी अब संघर्ष और सादगी से दूर होकर वातानुकूलित और आलीशान भवनों में बैठक करने लगी है। भाजपा जो सादगी और अनुशासन की बात करती थी। लेकिन इन सबके बाद यह साफ हो गया है कि भाजपा का इन सब चीजों से कोई नाता नहीं है। देश का किसान आत्महत्या कर रहा है। किसान अब मूत्र पीने को मजबूर है। प्रदेश का किसान गेहूं की फसलों में हुई आगजनी के बाद कराह रहा है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा आलीशान स्थानों पर बैठके कर रही है। उन्होंने प्रदेश के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो चुनावों से पहले स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए अद्र्धनग्र होकर प्रदर्शन करते थे। रेल रोकने का ढोंग करते थे। किसानों को बरगलाते थे। यदि मोदी पी.एम बने तो ओला, आगजनी और बाढ़ किसानों की फसल पर नहीं बल्कि मोदी के खजाने पर लगेगी। अब कहां गए वह वायदे और जुमलेबाजी। कृषि मंत्री अब किसान नेता नहीं कार्पोरेट की तरह बात करते है। कल तक किसानों की राजनीति करने वाले कृषि मंत्री अब बड़े घारानो से प्रभावित होकर किसानों के नाम पर मेले लगा रहे है। जिनसे किसानों को कोई फायदा नहीं है। किसानों को केवल कर्ज मुक्ति चाहिए। जिससे किसान अपना जीवन शांति से बिता सके। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अढ़ाई साल में सरकार किसानों को पूरी तरह से समाप्त करने का प्रयास कर चुकी है। यदि किसान का धैर्य टूट गया तो किसान गांव-गांव जाकर सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोल देगा। किसान अब असली विरोधियों और असली हितेषियों के बीच पहचान कर चुका है। अब किसान किसी के बहकावे में नहीं आएगा। बल्कि अपने आन्दोलन के बल पर अपने हको को लेकर रहेगा। 

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