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प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में ईबीपीजी कोटे को किया जा रहा दरकिनार
अनिल विज से सम्पर्क किया गया तो फोन उनके पीए ने उठाया और बताया कि मंत्री जी अभी मीटिंग में व्यस्त हैं, समय लगेगा।
प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में ईबीपीजी कोटे को किया जा रहा दरकिनार
कोई पदों की संख्या नहीं बताता तो कोई कोटा ही नहीं रखता, हाईकोर्ट जाकर लेना पड़ रहा कोटे का हक
सिरसा
प्रदेश में खुले मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ नर्स की भर्ती प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य श्रेणी (ईबीपीजी) के कोटे को दरकिनार किया जा रहा है। इन मेडिकल कॉलेजों में या तो भर्ती में ईबीपीजी का कोटा ही नहीं रखा जा रहा या फिर उसकी सीटें नहीं बताई जाती, जिस कारण इस कोटे के तहत आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या विज्ञापित पदों से ही काफी रह जाती हैं। इस वजह से अभ्यर्थियों को कोर्ट में केस डालकर अपना हक लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। बता दें कि हरियाणा सरकार की ओर से वर्ष 2012 में प्रत्येक सरकारी भर्ती में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत कोटा रखना अनिवार्य किया गया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज इसकी अनुपालना नहीं कर रहे। इसका उदाहरण ये है कि वर्ष 2016 में पीजीआईएमएस रोहतक में स्टाफ नर्स के लिए लगभग 440 पदों की भर्ती का विज्ञापन दिया था, लेकिन ईबीपीजी का कोई कोटा नहीं रखा, जिस कारण इस कोटे के तहत ज्यादातर उम्मीदवार आवेदन ही नहीं कर पाए। इसके विरोध में एक अभ्यर्थी ने कोर्ट में केस दायर कर दिया, जहां से निर्देश आने के बाद कॉलेज प्रशासन द्वारा 10 प्रतिशत कोटा तो दे दिया, जिसके बाद केवल 20 उम्मीदवार ही भर्ती हो पाए, जबकि एचएसएससी द्वारा वर्ष 2013 में निकाली गई 930 पदों की भर्ती में ईबीपीजी के अंतर्गत 93 पदों के लिए लगभग 120 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। हालांकि यह भर्ती प्रक्रिया भी चार साल से अभी पूरी नहीं हो पाई है, जबकि इसकी लिखित परीक्षा तथा उसका परिणाम भी आ चुका है, केवल साक्षात्कार की प्रक्रिया बाकी है। ऐसे में यह भी आशंका है कि इसमें भी किसी न किसी प्रकार की धांधली की जा सकती है। इसी प्रकार कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल ने भी 70 स्टाफ नर्स की बिना लिखित परीक्षा लिए और बिना ईबीपीजी का कोटा निर्धारित किए सीधी भर्ती कर दी। भगत फूल सिंह राजकीय मेडिकल कॉलेज सोनीपत की बात करें तो पहले इस कॉलेज की ओर से 113 स्टाफ नर्सों की भर्ती निकाली गई, लेकिन इस भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने के बजाय अभी हाल ही में 107 स्टाफ नर्सों की भर्ती का एक ओर विज्ञापन जारी कर दिया। अभ्यर्थियों द्वारा 113 पदों की भर्ती प्रक्रिया के संबंध में पूछताछ की जाती है तो उस संबंध में कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई संतुष्टिपरक जवाब नहीं दिया जा रहा कि नई भर्ती में भी पहले वाले अभ्यर्थी शामिल हैं और उनकी फीस मान्य रहेगी या उन्हें भी इस नई भर्ती के लिए अलग से आवेदन व फीस भरनी पड़ेगी। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की इस प्रकार की प्रक्रिया पर संदेह उठने लगे हैं।
मीटिंग में होने के चलते स्वास्थ्य मंत्री से नहीं हुई बात:
इस संबंध में जब स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से सम्पर्क किया गया तो फोन उनके पीए ने उठाया और बताया कि मंत्री जी अभी मीटिंग में व्यस्त हैं, समय लगेगा।
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