घरौंडा प्रवीण कौशिक
हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. रमेश कुमार यादव ने कहा कि आगजनी की घटनाएं इंसान की लापरवाही से होती है, जिसके लिए फसल बीमा योजना में कोई प्रावधान नही है और न ही हो सकता है। यदि इस प्रकार का कोई प्रावधान किया जाता है तो कोई भी लोग इसका नाजायज फायदा उठा सकता है। इसके अलावा स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण संबंधी बिल संसद में आया था, लेकिन हंगामे के बाद यह बिल भी एक तरह से रद्दी की टोकरी में चला गया। रिपोर्ट को लेकर अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
चेयरमैन सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में राष्ट्रीय कृषि स्टाफ कॉलेज लखनऊ की ओर से नाबार्ड महाप्रबंधकों के लिए आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्र स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर शिरकत करने के लिए पहुंचें थे। यहां पहुंचनें पर बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. सत्येंद्र यादव व अन्य विशेषज्ञों ने गुलदस्तों के साथ उनका स्वागत किया। चेयरमैन ने नाबार्ड अधिकारियों से प्रशिक्षण के दौरान उनके अनुभवों के बारे में जाना और प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए। तत्पश्चात उन्होंने केंद्र हाईटेक ग्रीन हाउस व अन्य पोली हाउस का दौरा किया और गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल की। पत्रकारों से बातचीत में चेयरमैन ने कहा कि स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट बड़ी व्यापक है। ऐसा प्रतीत होता है, ज्यादातर लोगों ने उसका कवर पेज भी नही देखा होगा। रिपोर्ट की मुख्य मांग प्रांत स्तरीय किसान आयोग का गठन है, जिस दिशा में हरियाणा सरकार कार्य कर रही है। जबकि दूसरी मांग में ग्रामीण विकास के लिए भूमि अधिग्रहण में किसान की सहमति की बात रखी गई है। जिसको लेकर संसद में बिल भी आया था, लेकिन उस बिल पर बहुत हंगामा हुआ था और सरकार से चर्चा के बाद वह बिल रद्दी की टोकरी में चला गया था, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है। फसल के अच्छे दाम न मिलने पर किसानों द्वारा अपना उत्पादन सड़कों पर डालने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसान इस प्रकार के कदम न उठाए, इसके लिए सरकार ई-नेट मार्किट को लेकर कार्य कर रही है, ताकि किसानों को किस मंडी में किस फसल का क्या भाव मिल रहा है, उसका पता चल पाए। जिसके बाद वह अपनी फसल को देश की किसी भी मार्किट में बेच सकता है, बशर्ते ट्रांसपोर्ट सुविधा किसान के खेत तक होनी चाहिए और किसानों के खेतों तक ट्रांसपोर्ट सुविधा पहुंचें, इस दिशा में सरकार लगातार कार्य कर रही है, ताकि किसान को आर्थिक नुकसान न हो।
वहीं उन्होंने फसल अवशेष जलाने के सवाल पर बोलते हुए कहा कि फसल अवशेष जलाने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है और किसानों को अवशेष जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में भी बताया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप पिछले साल के मुकाबले बहुत ही कम लोग फसल अवशेष जला रहे है।
राष्ट्रीय कृषि स्टाफ कॉलेज लखनऊ के प्रिंसिपल पी.जे. रंजिथ ने कहा कि 20 राज्यों के 30 महाप्रबंधकों ने हाईटेक तकनीक की जानकारी ली है, जिसके बाद वे अपने क्षेत्र में किसानों को संरक्षित खेती के बारे में जागरूक कर सकेंगे। जिसके बाद महाप्रबंधक भी स्टीक निर्णय ले सकेंगे।
इस मौके पर प्रोजेक्ट हेड आरएस पुनिया, कृष्ण सोलंकी, वेदप्रकाश, सुनील सैनी, धर्म सिंह, लोकनाथ सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।
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