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Tuesday, 1 September 2020

महंगी कंपनी की दवाओं का बिल नहीं देते, फर्जीवाड़ा पकड़ा तो फर्जी बिल थमाया

सरकारी अस्पताल में सस्ती दवा के नाम पर लूट!
-सरकारी अस्पताल में चल रहे जन औषधि केंद्र में बेची जा रही हैं महंगी दवाईयां
-सरकारी अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल पा रही सामान्य बीमारियों की भी दवा 
पानीपत,अरुण मित्तल
ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा का स्लोगन और प्रधानमंत्री के हंसते हुए फोटो के सामने अगर लिखा हो कि ‘गरीब को सस्ती दवाई मिले, गरीब को दवाई के बिना मरने की नौबत ना आए इसलिए पूरे देश में जन औषधि केंद्रों खोलें गए हैं’ तो अच्छे अच्छे भी झांसे में आ सकते हैं। जी हां, ऐसा ही मामला जिला नागरिक अस्पताल में उस समय देखने को मिला जब सिविल अस्पताल की डिस्पेंसरी में दवा नहीं होने के बाद एक मरीज प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र पर पहुंचा। यहां पर मरीज को बाहर की महंगे दामों की दवा दे दी गई। 
जब उस मरीज से बिल मांगा तो बिल देने से मना कर दिया गया। 
साथ में धमकी दी गई कि यह औषधालय गृहमंत्री अमित शाह के लडक़े के हैं, जो पूरे देश में चल रहे हैं। 
यह औषधालय इंडियन रेडक्रास सोसायटी संचालित हैं। हालांकि बड़ी मशक्कत के बाद स्टोर संचालन ने बिल तो दिया, लेकिन जो दवा उसने मरीज को दी थी उसका नहीं बल्कि जो दवा वह स्टोर में बेच सकता है उसका। इस मामले की शिकायत रेडक्रास सचिव को दी गई है, जिन्होंने एक-दो दिन में जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है।
यह है मामला
गांव गुढ़ा करनाल निवासी सलीम हल्का बुखार होने पर शुक्रवार को सामान्य अस्पताल में दवा लेने के लिए पहुंचे। डॉक्टर द्वारा जांच के बाद कुछ दवा लिखी गई तो अस्पताल की डिस्पेंसरी में दवा नहीं मिली। यहां बताया गया कि 14 नंबर से दवा ले ले। यहां पर सस्ती दवा मिलती है। उनके कहे अनुसार यहां से दवा ली गई। 150 रूपये उन्होंने दवा के ले लिए। पीडि़त ने दवा का बिल मांगा तो उन्होंने बिल देने से मना कर दिया। किसी कागज पर मोहर लगाकर रसीद देने का कहा तो बोले यहां केवल दवा मिलती है।
धड़ल्ले से बेची जा रही हैं बाहर की दवा
जब इन दवाईयों को बाहर प्राइवेट मेडिकल स्टोरों पर पता किया गया तो दवाईयों की कीमत बहुत कम बताई गई। जिसके बाद वह दोबारा से औषधि स्टोर पर पहुंचे और दवाईयों की कमीत सही करने को कहा। इसके बाद स्टोर के अंदर मौजूद दवा देने वालों ने कहा कि हमने आपसे 10 रूपये अधिक ले लिए हैं। आप वापस ले लो। मरीज ने फिर से बिल मांगा तो उन्होंने फिर बिल देने से मना करा दिया।
रेडक्रास ने दिया कार्रवाई का भरोसा
औषधि केंद्र से खरीदी दवाओं को लेकर पीडि़त रेडक्रास पहुंचा। यहां सचिव की गैर मौजूदगी में उप निरीक्षक विनोद कुमार ने शिकायत सुनी और औषधालस पर काम कर रहे कर्मी से बिल ना देने और बाहर की दवा बेचने संबंधित बातचीत की। इसके बाद विनोद ने आश्वासन दिया कि सचिव साहब कुछ ही देर में लंच से आफिस आ जाएंगे। उसके बाद आपको बुला लिया जाएगा। औषधालय ने फर्जी बिल थमाया
दवा का बिल लेने के बाद आज फिर मरीज अस्पताल के औषधि केंद्र पर पहुंचे। यहां दोनों कर्मियों ने स्टोर के संचालक अंकित से बातचीत कराई। अंकित ने बिल देने की हां भरते हुए अपने कर्मियों को बिल दे देने के आदेश दिए। लेकिन अंकित को जब तक पता कि यह रेडक्रास या उच्चाधिकारियों को शिकायत करेंगे तो उन्होंने जो दवा बेची थी उसकी बजाए औषधि के अंदर रखी हुई दवा का बिल बनाकर दे दिया। तीनों दवा के बैच नंबर में अंतर है।
सरकारी अस्पताल में दवाओं का टोटा
सरकारी अस्पताल की डिस्पेंसरी के बाहर एक बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा गया है कि 200 दवाईयां उपलब्ध हैं। लेकिन जब लोग दवा लेने के लिए घंटों लाइन में लगने के बाद दवा लेते हैं तो उन्हें जवाब मिलता है कि 14 नंबर से दवा ले लो। बता दें कि नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार के करीब मरीज जांच के लिए आते हैं। 
वर्जन
इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर स्टोर संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। औषधि केंद्र में केवल भीरतीय जन औषधि परियोजना की दवा की बेची जा सकती है। बाहर की दवा अगर स्टोर बेची जा रही है तो वह लोगों के साथ साथ सरकार को भी धोखा दे रहा है।
गौरव रामकरण, सचिव रेडक्रास पानीपत

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