तुम बिन शव हूँ
तुम बिन शव हूँ तुम हो शक्ति
तुम्हारा भक्त हूँ तुम से भक्ति
तुम से खुशी अन्यथा विरक्ति
तुम जीवन तुम से आसक्ति
मैं तेरा हूँ मेरा सब कुछ तेरा
चहुँ और जैसे तेरा ही बसेरा
तुम से रोशन जीवन ये मेरा
तुम बिन है चहुँ और अँधेरा
तुम से ही अस्तित्व है मेरा
तुम से ही व्यक्तित्व है मेरा
तुम से बना आधार है मेरा
तुम से बना संसार है मेरा
तुम से ही सब रचा हुआ है
तुम में ही सब बसा हुआ है
तुम पर ही सब टिका हुआ है
तुम श्वास हो तुम ही प्राण हो
तुम ही जिव्हा तुम ही घ्राण हो
तुम हो नयन तुम ही कान हो
तुम दिल हो तुम ही जान हो
तुम हो तो जीवन है मधुबन
वरना जैसे काँटों का उपवन
तुम से जुड़ा इस तरह ये मन
जैसे जुड़ी जीवन से धड़कन
***डॉ मुकेश अग्रवाल
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