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Saturday, 5 September 2020

शहर के भगवती चंद्र मेमोरियल हॉस्पिटल में डिलीवरी के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। शिकायत करने के बाद शिकायत ली वापस।

घरौंडा: प्रवीण कौशिक
शहर के भगवती चंद्र मेमोरियल हॉस्पिटल में डिलीवरी के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। महिला व नवजात शिशु की मौत पर गुस्साएं परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर ईलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। मृतक के परिजनों ने पुलिस को लिखित शिकायत दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर जांच पड़ताल शुरू कर दी है।शहर के हनुमान मंदिर के पास रहने वाली 30 वर्षीय गर्भवती महिला सीमा पत्नी आनंद शनिवार की सुबह करीब आठ बजे डिलीवरी के लिाए जीटी रोड स्थित भगवती चंद्र मेमोरियल अस्पताल में भर्ती करवाई गई थी। परिजनों के मुताबिक, डॉक्टरों ने गर्भवती की नॉर्मल डिलीवरी होने की बात कही थी, लेकिन डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी नहीं कर पाए। मृतक महिला के जेठ सोमबीर ने बताया कि उसके छोटे भाई की पत्नी सीमा गर्भवती थी। जिसको शहर के भगवती चंद्र मेमोरियल अस्पताल में डिलीवरी के लिए लाया था। डॉक्टरों ने गर्भवती का चेकअप किया। जिसमें सामने आया कि सीमा की हालत ठीक है और नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी, लेकिन कुछ देर बाद ही डॉक्टरों ने ऑपरेशन से डिलीवरी करने की बात कहीं।
सोमबीर का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने ऑपरेशन के लिए पानीपत से डॉक्टर बुलवाया। जिसके बाद ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू की गई। जिसके कुछ ही देर बाद डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर आए और बच्चें की मौत की बात बताई। जब सीमा की हालत के बारे में पूछा गया तो उसकी हालत ठीक बताई गई। सोमबीर व अन्य परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने ईलाज में पूरी लापरवाही बरती है और उनको गुमराह किया। सीमा की हालत ठीक नहीं थी, उसकी सही जानकारी देने की बजाए उन्हें दो यूनिट ब्लड व चार प्वाइंट प्लाज्मा लाने के लिए कहा गया। जब वे प्लाज्मा लेकर पहुंचें तो सीमा को ब्लड व प्लाज्मा चढ़ाना शुरू किया। इसके कुछ ही देर बाद अस्पताल के डॉक्टरों ने सीमा को करनाल के लिए रेफर कर दिया। जब रेफर के लिए ले जाया जा रहा था तो सीमा की नब्ज चैक की गई, जिसमें जरा सी भी हलचल नहीं थी। सोमबीर का आरोप है कि सीमा की मौत पहले ही हो चुकी थी, अस्पताल प्रबंधन ईलाज के नाम पर उन्हें गुमराह कर रहे थे। डॉक्टरों की लापरवाही ने ही जच्चा-बच्चा की जान ली है। घटना की सूचना के बाद थाना प्रभारी कंवर सिंह पुलिसकर्मियों के साथ अस्पताल में पहुंचें और मामले की छानबीन शुरू कर दी।
अस्पताल में नहीं थी ब्लड की व्यवस्था-
जच्चा-बच्चा की मौत ने बीसीएम अस्पताल की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए है। परिजन सोमबीर का कहना है कि डॉक्टरों के मुताबिक, गर्भवती सीमा में महज सात ग्राम खून था। ऐसे हालातों में अस्पताल प्रबंधन की ओर से समय रहते ही ब्लड की व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन ईमरजैंसी के हालातों में खून व प्लाज्मा लाने के लिए कहा गया और वे आनन-फानन में ख्ूान लेकर भी पहुंच गए थे लेकिन फिर डॉक्टर जच्चा-बच्चा को बचा नहीं सकें। वहीं डॉक्टर कविता का कहना है कि गर्भवती में सात ग्राम खून था। जिसको देखते हुए परिजनों को ब्लड लाने को कहा गया था।
चार घंटे बाद बिना शिकायत दिए शव लेकर चले गए परिजन-
मृतक महिला के परिजन अस्पताल में शव रखकर चार घंटे तक हंगामा करते रहे। परिजनों ने पुलिस के सामने ही डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए। करीब चार घंटे बाद परिजन बिना पुलिस को शिकायत दिए शव उठाकर चले गए।
वर्जन-
गर्भवती की डिलीवरी नॉर्मल ही करनी थी लेकिन जब डिलीवरी की गई थी तो बच्चें के गले में आरनॉल की तीन लपेटें लगे हुए थे, जिससे दम घुटने से बच्चें की मौत हुई हो गई। डिलीवरी से पहले ही परिजनों को कहा गया था कि वे गर्भवती को किसी दूसरे अस्पताल में ले जाए, लेकिन वे यहीं पर डिलीवरी करवाने की बात पर अड़े रहे। ऐसे हालातों में उनसे जो बन पड़ा वह उन्होंने किया।
-डॉ. कविता रानी, स्त्री रोग विशेषज्ञ

वर्जन-
जीटी रोड स्थित एक अस्पताल में डिलीवरी के दौरान जज्जा-बच्चा की मौत होने की शिकायत मिली थी। मृतका के परिजनों ने शिकायत वापिस ले ली है। वे संतुष्ट है और कोई कार्रवाई नहीं चाहते।  
-कंवर सिंह, थाना प्रभारी घरौंडा

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