श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, मीडिया प्रभारी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व विधायक, कैथल ने निम्नलिखित बयान जारी कियाः-
‘‘राजनैतिक धरातल खोकर भाजपा अब ढूंढ रही जाति-धर्म के विभाजन का सहारा’’
‘‘खट्टर सरकार कर रही प्रदेश को जातिगत बंटवारे में बांटने का घिनौना षडयंत्र’’
‘‘2.5 करोड़ हरियाणवी देंगे इस साजिश का मुंहतोड़ जवाब’’
‘‘हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों की जातिगत गणना है सर्वोच्च न्यायालय के आदेषों का उल्लंघन’’
चंडीगढ़, 22 सितंबर, प्रवीण कौशिक
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी, श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की जातिगत गणना करवाकर जातिवाद फैलाने और प्रदेश को जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा की है।
इंद्रा साहनी केस में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए श्री सुरजेवाला ने एक वक्तव्य में कहा कि जातिगत गणना करने का अधिकार केवल पिछड़ा वर्ग आयोग के पास है। जातिगणना केवल पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए की जा सकती है और वर्गों से संबंधित व्यक्ति विशेष की पहचान करना संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है। इस प्रकार हरियाणा सरकार संवैधानिक दायित्वों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन कर रही है। खट्टर सरकार द्वारा अदालत के आदेशों का हवाला देकर करवाई जा रही यह जाति गणना सरकारी नियमों और कार्यसंस्कृति के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सरकारी विभागों में जातिगत गणना का कोई निर्देश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थाओं के कार्यक्षेत्र में राजनैतिक स्वार्थसिद्धि के लिए की जा रही दखलंदाजी गैरकानूनी है। उन्होंने संयुक्त पंजाब सरकार द्वारा 20 अगस्त, 1962 को जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि नियमों के अनुसार जाति, धर्म का सरकारी दस्तावेजों में उल्लेख नहीं किया जा सकता। इस सरकार ने अपने जातिवादी एजेंडे के तहत उस सर्कुलर को भी वापस ले लिया है।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है और इतिहास में इसे प्रदेश की सबसे नाकारा और असफल सरकार के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने और प्रदेश की जनता को जातिवाद के आधार पर बांटने के प्रयास में यह सरकार सरकारी विभागों का जातिकरण करने पर उतारू है, जिसे किसी भी हालात में स्वीकार नहीं किया जा सकता। खट्टर सरकार द्वारा करवाई जा रही इस जातिगत गणना के परिणाम सामाजिक समरसता के लिए घातक सिद्ध होंगे और हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को केवल जातिगत दृष्टि से देखा जाने लगेगा। उन्होंने कहा कि जातिगत गणना करवाकर भाजपा अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग और अन्य सभी वर्गों की जातियों को आपस में लड़वाना चाहती है।
श्री सुरजेवाला ने याद दिलाया कि हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश की जनता में जाति धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाने की साजिश का यह पहला उदाहरण नहीं है। आरक्षण आंदोलन के नाम पर इस सरकार ने पहले हिंसा बढ़ने के हालात पैदा किए फिर सात दिन तक पूरे प्रदेश में हिंसा की आग फैलने दी, ताकि जातिवाद का जहर गांव-गांव, शहर-शहर फैल सके। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता व सांसद जातिवाद की आग को भड़काने में लगातार लगे हुए हैं और भाजपा सरकार का उन्हें पूरा संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने प्रदेश की 2.5 करोड़ जनता को भाजपा द्वारा प्रदेश में जातिवाद फैलाने की नापाक कोशिशों से सजग रहने का आह्वान किया।
‘‘राजनैतिक धरातल खोकर भाजपा अब ढूंढ रही जाति-धर्म के विभाजन का सहारा’’
‘‘खट्टर सरकार कर रही प्रदेश को जातिगत बंटवारे में बांटने का घिनौना षडयंत्र’’
‘‘2.5 करोड़ हरियाणवी देंगे इस साजिश का मुंहतोड़ जवाब’’
‘‘हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों की जातिगत गणना है सर्वोच्च न्यायालय के आदेषों का उल्लंघन’’
चंडीगढ़, 22 सितंबर, प्रवीण कौशिक
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी, श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की जातिगत गणना करवाकर जातिवाद फैलाने और प्रदेश को जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा की है।
इंद्रा साहनी केस में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए श्री सुरजेवाला ने एक वक्तव्य में कहा कि जातिगत गणना करने का अधिकार केवल पिछड़ा वर्ग आयोग के पास है। जातिगणना केवल पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए की जा सकती है और वर्गों से संबंधित व्यक्ति विशेष की पहचान करना संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन है। इस प्रकार हरियाणा सरकार संवैधानिक दायित्वों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन कर रही है। खट्टर सरकार द्वारा अदालत के आदेशों का हवाला देकर करवाई जा रही यह जाति गणना सरकारी नियमों और कार्यसंस्कृति के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सरकारी विभागों में जातिगत गणना का कोई निर्देश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थाओं के कार्यक्षेत्र में राजनैतिक स्वार्थसिद्धि के लिए की जा रही दखलंदाजी गैरकानूनी है। उन्होंने संयुक्त पंजाब सरकार द्वारा 20 अगस्त, 1962 को जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि नियमों के अनुसार जाति, धर्म का सरकारी दस्तावेजों में उल्लेख नहीं किया जा सकता। इस सरकार ने अपने जातिवादी एजेंडे के तहत उस सर्कुलर को भी वापस ले लिया है।
श्री सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है और इतिहास में इसे प्रदेश की सबसे नाकारा और असफल सरकार के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने और प्रदेश की जनता को जातिवाद के आधार पर बांटने के प्रयास में यह सरकार सरकारी विभागों का जातिकरण करने पर उतारू है, जिसे किसी भी हालात में स्वीकार नहीं किया जा सकता। खट्टर सरकार द्वारा करवाई जा रही इस जातिगत गणना के परिणाम सामाजिक समरसता के लिए घातक सिद्ध होंगे और हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को केवल जातिगत दृष्टि से देखा जाने लगेगा। उन्होंने कहा कि जातिगत गणना करवाकर भाजपा अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग और अन्य सभी वर्गों की जातियों को आपस में लड़वाना चाहती है।
श्री सुरजेवाला ने याद दिलाया कि हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश की जनता में जाति धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाने की साजिश का यह पहला उदाहरण नहीं है। आरक्षण आंदोलन के नाम पर इस सरकार ने पहले हिंसा बढ़ने के हालात पैदा किए फिर सात दिन तक पूरे प्रदेश में हिंसा की आग फैलने दी, ताकि जातिवाद का जहर गांव-गांव, शहर-शहर फैल सके। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता व सांसद जातिवाद की आग को भड़काने में लगातार लगे हुए हैं और भाजपा सरकार का उन्हें पूरा संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने प्रदेश की 2.5 करोड़ जनता को भाजपा द्वारा प्रदेश में जातिवाद फैलाने की नापाक कोशिशों से सजग रहने का आह्वान किया।
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