घरौंडा: 23 सितम्बर
आचार्य मणिप्रसाद गौत्तम ने कहा कि मां दुर्गा जी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्ही के श्री विग्रह स्वरूप का पूजन आराधना की जाती है। इनका यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। आचार्य मणिप्रसाद गौत्तम नवरात्र के तीसरे दिन देवी मंदिर में प्रवचन कर रहे थे।
शनिवार की सुबह ही देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और महामाई का गुणमान कर अपने परिवार में अमन शांति की कामना की। मां चंद्रघंटा की महिमा का गुणगान करते हुए आचार्य मणिप्रसाद गौत्तम ने कहा कि तीसरे नवरात्र पर पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां चंद्रघंटो की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते है। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और विविध प्रकार की ध्वनियां सुनाई देती है। उन्होने प्रवचन करते हुए कहा कि अपने मन, वचन, कर्म एवं काया को विहित विधि विधान के अनुसार पूर्णत: परिशुद्ध एवं पवित्र करके मां चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना आराधना में तत्पर हों। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते है। उन्होंने कहा कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे और परलोक दोनों के लिए परमकल्याणकारी और सद्गति को देने वाला है।
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