घरौंडा, प्रवीण कौशिक
भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन तीन अगस्त को है। मगर इस बार इस त्योहार पर कोराेना का साया है। ऐसे में भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी का बाजार ठंडा पड़ा है। इसका कारण है बाजार में राखी का स्टॉक न होना है। अभी बाजार में पुराना स्टाॅक ही है। लाॅक डाउन में मजदूरों के चले जाने के कारण इस बार राखी तैयार नहीं हो पाई हैं। रक्षाबंधन में 2 दिन बचे हैं। ऐसे में घरौंडा के चौराहों पर बाजार में कई दुकानों पर राखियां दिखाई देने लगी हैं। मगर इस बार बाजार में राखियों के नए डिजायन नहीं है और पिछले साल की तुलना में दामों में भी बढ़ोतरी है।
राखी के थोक विक्रेता बतातें है कि इस साल बाजार में राखी का बहुत ज्यादा स्टॉक नहीं है। इसका कारण कोरोना है। रक्षाबंधन से तीन-चार माह पहले ही राखी का स्टॉक तैयार करवाया जाता है। मगर इस साल मार्च में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन में सारे मजदूर अपने घर चले गए। अब जब अनलॉक हुआ है तो मजदूर ही नहीं है। अब थोड़ा बहुत माल तैयार हो रहा है। इस बार लोग चाइनीज राखियों का बहिष्कार भी कर रहे हैं ऐसे में जिन लोगों के पास पुराना स्टॉक है वो ही निकाल रहे हैं।
राखी व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल इन दिनों राखी खरीदने वालों की भीड़ रहती थी। गांव, कस्बे और मुहल्लों में राखी की दुकानें सज जाती थीं, लेकिन इस बार राखी की दुकान लगाने वाले असमंजस में हैं। उन्हें लग रहा है कि वो माल खरीदें और कहीं ऐसा न हो की लॉकडाउन हो जाए या प्रशासन सड़क पर दुकान न लगाने दे, इसके चलते दुकानदार अभी माल नहीं खरीद रहे हैं। कोरोना के चलते इस बार राखी पर महंगाई का भी असर देखने काे मिल रहा है।
थोक विक्रेताओं ने बताया कि बाजार में माल कम होने के चलते पिछले साल की तुलना में 40 फीसद तक दाम बढ़ गए हैं। जो थोक में 70 रुपये दर्जन थी, वो इस बार 100 रुपये दर्जन तक मिल रही है। राखी बेचने वाले दुकानदारों ने बताया कि बच्चों की राखी पर ज्यादा असर पड़ा है। बच्चों की राखियां चीन से आती थीं, लेकिन इस बार चीन से माल न आने के चलते पुराने स्टॉक के दाम बढ़ गए हैं। थोक बाजार में 27 रुपये से 160 रुपये दर्जन की राखियां उपलब्ध हैं।
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