कोरोना संकटकाल जन्माष्टमी त्यौहार की खुशियां लील गया है। ना मनमोहक झांकियां निकली और ना ही ढंग से मंदिर सजे।
घरौंडा :प्रशान्त कौशिककोरोना संकटकाल जन्माष्टमी त्यौहार की खुशियां लील गया है। ना मनमोहक झांकियां निकली और ना ही ढंग से मंदिर सजे। संध्या समय बाजारों की रौनक भी हवा हो गई। मंदिरों में ईक्का दुक्का श्रद्धालु ही नजर आया। ज्यादातर लोगों ने घरों में रहकर ही पूजा अर्चना की और परमपिता परमात्मा से कोरोना जैसी महामारी को जल्द से जल्द समाप्त करने की प्रार्थना की।बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह नजर आया, लेकिन कोरोना रूपी राक्षस ने जन्माष्टमी के त्यौहार के आनंद को फीका कर दिया। हालांकि मंदिरों को फूलों और बिजली की रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया, लेकिन कोरोना काल के चलते इस बार मंदिरों में झांकियां नहीं सजाई गईं, श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खोले तो जरूर गए थे लेकिन पिछली बार की तरह भीड़ नजर नही आई। ऐसे में लोगों ने अपने-अपने घरों में छोटे बच्चों को श्री कृष्ण-राधा की वेशभूषा में सजाया। घरों में ही विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर लड्डू गोपाल को झूला झुलाया और श्री कृष्ण जी के जमकर जयकारे लगाए। इसमें हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की, प्रकट भयो नंदलाल के जमकर जयकारे लगाए। शहरवासियों के अनुसार, शहर के देवी मंदिर, एसडी मंदिर, मंडी मनीराम, रेलवे रोड सहित मंदिर कमेटियों और धार्मिक संस्थाओं द्वारा झांकियां लगाई जाती थी, जो त्यौहार के उत्साह को ओर भी बढ़ा देती थी, लेकिन अबकी बार ऐसा कुछ नहीं था। मंदिर सुनसान और बाजार विरान दिखाई दिए।
वहीं देवी मंदिर के आचार्य मणिप्रसाद गौत्तम ने बताया कोरोना संकटकाल के कारण त्यौहार पर असर पड़ा है। कम ही श्रद्धालुओं को मंदिर में आने की अनुमति है। मंदिर में सैनिटाइजिंग और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जा रहा है।
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