घरौंडा : : प्रवीण कौशिक
आज वाल्मीकि जयंती पर भारतीय मोदी आर्मी रोजगार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने वाल्मीकि जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण किए। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जी कोमल ह्रदय इंसान थे। अग्रवाल ने कहा कि किस प्रकार आदि कवि वाल्मीकि प्रसिद्ध हुए।
आदि कवि वाल्मीकि
एक बार महर्षि वाल्मीक एक क्रौंच पक्षी के जोड़े को निहार रहे थे। वह जोड़ा प्रेमालाप में लीन था, तभी उन्होंने देखा कि एक बहेलिये ने कामरत क्रौंच (सारस) पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी का वध कर दिया और मादा पक्षी विलाप करने लगी। उसके इस विलाप को सुन कर महर्षि की करुणा जाग उठी और द्रवित अवस्था में उनके मुख से स्वत: ही यह श्लोक फूट पड़ा:
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शाश्वती: समा:।यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधी: काममोहितम्॥ जिसका अर्थ है कि (निषाद)अरे बहेलिये, (यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधी: काममोहितम्) तूने काममोहित मैथुनरत क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं (मा प्रतिष्ठा त्वगम:) हो पायेगी)
ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण (जिसे कि वाल्मीकि रामायण के नाम से भी जाना जाता है) की रचना की और आदिकवि वाल्मीकि के नाम से अमर हो गए। अग्रवाल ने कहा कि वे एक समाज विशेष के नहीं अपितु सृष्टि को ज्ञान अर्पित करने वाले महान ऋषि हुए। वाल्मीकि जी ने संपूर्ण संसार को ज्ञान दिया। इस अवसर पर उनके साथ अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
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