10000

Sunday, 1 October 2017

रजापुर में घुसते ही लोगों का स्वागत गंदगी के बड़े-बड़े ढेर करते है

यहां स्वच्ठछता अभियान टांय टांय फिस्स होता नजर आ रहा है। 

रिफाइनरी/ पानीपत राजपाल प्रेमी 
2 अक्तूबर को स्वच्छता अभियान को एक साल पूरा होने वाला है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर बीजेपी नेताओं, यहां तक की प्रशासनिक अधिकारियों ने स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दिन-रात एक कर दिए। जिसके कुछ सार्थक परिणाम भी देखने को मिले। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान कितना कारगर साबित हुआ है। इसकी बानगी रिफाइनरी के साथ लगते गांव रजापुर में देखी जा सकती है। जहां सडक़ों के किनारें कुड़े के ढेर लगे है तो गलियों में बंधे पालतू पशुओं ने गंदगी फैलाने में कोई कसर नही छोड़ी है। यहां स्वच्ठछता अभियान टांय टांय फिस्स होता नजर आ रहा है। 
गांव रजापुर में घुसते ही लोगों का स्वागत गंदगी के बड़े-बड़े ढेर करते है। शायद ही गांव की कोई ऐसी सडक़ बची हो, जहां गंदगी के ढेर न लगे हो। वहीं गलियों में लोगों ने पालतू पशु बांधकर इस गंदगी को फैलाने में चार चांद लगा रखे है। गांव में फैली इस गंदगी को देखकर ऐसा लगता है कि देश भर में फैली स्वच्छता अभियान की आग की आंच इस गांव में पहुंची हो। वहीं ग्रामीणों की माने तो गांव में सफाई के लिए मात्र दो ही सफाई कर्मी लगाए हुए है। जबकि गांव की आबादी लगभग 5 हजार है। ऐसे में दो सफाई कर्मचारी तो सिर्फ कुछ क्षेत्र को ही साफ कर सकते है, पूरे गांव को नही। 
सफाई के प्रति जागरूक नही हुए लोग-
सरकार ने करोड़ों रुपया लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में खपा दिया। लेकिन स्वच्छता की तरफ, लोगों में जागरूकता भी नही आई। आज भी उनके घरों के सामने गंदगी फैली हुई है। कहीं पोलीथीन पड़ी है तो कहीं गोबर के लौथड़े। जो लोग अपने घर के सामने पड़ी गंदगी को नही उठा सकते, वे पूरे गांव को स्वच्छ करने में कैसे सहयोग कर सकते है। ग्रामीण तो मात्र सफाई कर्मचारियों के भरोसे बैठे रहते है कि सफाई कर्मी आएंगे और उनके घर के सामने झाडू लगाकर चले जाएंगे। 
गंदगी बहुत ज्यादा है-
ग्रामीण महिला बबली देवी का कहना है कि गांव में हर जगह पर गंदगी के ढेर लगे पड़े है। किसी ने गोबर के ढेर सडक़ों किनारे लगा रखे है तो किसी ने कचरे के ढेर लगा रखे है। इन रास्तों पर आते-जाते समय मुहं पर कपड़ा ढककर निकलना पड़ता है। 
नही है कोई व्यवस्था-
ग्रामीण बिहारी लाल का कहना है कि गांव में हर तरफ गंदगी का आलम है। लेकिन ग्राम पंचायत की ओर से सफाई के लिए कोई व्यवस्था नही की गई है। मात्र दो कर्मचारी लगा रखे है, जबकि गांव में लगभग एक हजार घर है। ऐसे में कैसे स्वच्छ होगा गांव।
कहां है स्वच्छता-
ग्रामीण प्रदीप कुमार का कहना है कि गांव में स्वच्छता नही, बल्कि अस्वच्छता का माहौल है। कहीं से भी गुजर जाओं, कोई न कोई गंदगी का ढेर जरूर मिल जाएगा। बताया जाता है देश में स्वच्छता अभियान चलाया हुआ है लेकिन गांव की हालत से पता चलता है कि स्वच्छता यहां से बहुत दूर है। 
मेरे हाथ में कुछ नही- सरपंच
गांव में फैली गंदगी के बारे में सरपंच धर्मबीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी सरपंची का मामला कोर्ट में चला हुआ है। इसलिए उनके हाथ में कुछ नही है। गांव के पंच भी उनका कोई सहयोग नही करते है।  

फोटो केप्शन-गांव रजापुर में सडक़ों पर लगे गंदगी के ढेर, गलियों में बंधे पशु तथा घर के बाहर पड़ा गोबर व कचरा 




No comments:

Post a Comment

मनीष गुप्ता भाविप घरौंडा के अध्यक्ष,दीपक शर्मा सचिव व हरीश गर्ग कोषाध्यक्ष बने।

दायित्व ग्रहण समारोह में विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने की शिरकत घरौंडा, डॉ प्रवीण कौशिक           भारत विकास परिषद्, शाखा घरौंडा द्वार...