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Friday, 24 July 2020

रिफाइनरी पर 642.18 करोड़ रुपये जुर्माने के मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी, 2021 को होगी ।

रिफाइनरी 17.31 करोड़ रुपए करवा चुकी है जुर्माने के जमा ।
 रिफायनरी, राजपाल प्रेमी
रिफाइनरी क्षेत्र के गांवों के लोगो का स्वास्थ्य , भूमिगत जल खराब करने और विशैली  गैस से पर्यावरण को नुकशान पहुंचाने के मामले में रिफाइनरी की मुश्किले बढ़ती जा रही है। सीपीसीबी, एचएसपीसीबी और प्रशासन इस आरोप पर जांच करते हुए रिफाइनरी पर 642.18 करोड़ रुपये जुर्माने की अनुशंसा कर चुके हैं। अब मामला एनजीटी में है। एनजीटी ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की है। बताया जा रहा है कि रिफाइनरी के अधिकारियों को इस मामले में एनजीटी की फटकार लगी है । अब मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 फरवरी 2021 तय की गई है। 

 कमेटी , जांच में रिफाइनरी को पा चुकी है दोषी-
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पेशल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने अपनी दूसरी बार की जांच में पानीपत रिफाइनरी  को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया है। वहीं रिफाइनरी पर गांव सिंहपुरा, न्यू बोहली, ददलाना, रेर कलां, फरीदपुर समेत रिफाइनरी के आस-पास के क्षेत्र में भूजल को खराब करने और रिफाइनरी से निकलने वाली खतरनाक गैस से लोगों का स्वास्थ्य खराब करने के आरोप को सही पाया। इधर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पेशल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पानीपत रिफाइनरी पर 642.18 करोड़ रुपये हर्जाना लगाने की अनुशंसा की है। वहीं पानीपत रिफाइनरी से हर्जाना कितना वसूला जाना है इस पर अंतिम निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लेगा। विश्व विख्यात टेक्सटाइल जिला पानीपत देश का 11वां व हरियाणा का दूसरा सबसे प्रदूषित जिला है। प्रदूषण फैलाने के लिए रिफाइनरी प्रशासन पर अनेक बार आरोप लगे । परंतु रिफाइनरी प्रशासन हर बाद अपने उपर लगे प्रदूषण फैलाने के आरोपों का खंडन करता रहा है ।

क्षेत्र के भूजल की हुई थी जांच-
 प्रदूषण से बेहाल हो चुके आसपास के गांवों में पानीपत रिफाइनरी के प्रति जनता में नाराजगी बढती चली गई। 2018 में रिफाइनरी के पास स्थित गांव सिठाना के सरपंच सतपाल बाजीगर ने पानीपत रिफाइनरी से फैल रहे प्रदूषण, पानीपत प्रशासन की रिफाइनरी के प्रति चुप्पी की शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत की। ट्रिब्यूनल ने पानीपत रिफाइनरी में वायु और जल प्रदूषण फैलाने के मामले की जांच के लिए स्पेशल ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन किया था। कमेटी की जांच में तत्कालीन उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने मनमानी की थी । इसके चलते ट्रिब्यूनल ने फिर से जांच के आदेश दिए थे। वहीं जांच कमेटी में सीएसआईआर नीरी, केंद्रीय भूजल बोर्ड और डीसी पानीपत की जांच कमेटी को शामिल किया गया था। कमेटी ने जांच में पानीपत रिफाइनरी को वायु और जल प्रदूषण फैलाने की दोषी पाया था, वहीं कमेटी ने रिफाइनरी और इसके 10 किमी के आसपास के क्षेत्र में भूजल की जांच कराई। यहां से 31 सैंपल लिए गए थे । 
 पानी और हवा की जांच रिपोर्ट मिली थी चिंताजनक-
रिफाइनरी क्षेत्र के आसपास की पानी और हवा की जांच रिपोर्ट चिंताजनक मिली थी ।  सीएसआईआर-नीरी (जल की गुणवत्ता नापने वाली केंद्रीय एजेंसी), केंद्रीय भूजल बोर्ड और डीसी पानीपत की जांच कमेटी ने पानीपत रिफाइनरी पर ऑक्सीजन में आई कमी एवं अवैध रूप से केमिकल युक्त पानी बहाने पर भूजल के दूषित होने पर क्षतिपूर्ति 26.90 करोड़ रुपये, नागरिकों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की क्षतिपूर्ति 92.59 करोड़ रुपये, भूजल को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति 540 करोड़ रुपये कुल 659.49 करोड़ रुपये का हर्जाने की अनुशंसा की है । जबकि पानीपत रिफाइनरी ने कमेटी की रिपोर्ट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में 17.31 करोड़ का जुर्माना जमा किया था। कमेटी ने रिफाइनरी को 642.18 करोड़ रुपये का हर्जाना करने की अनुशंसा की है। हर्जाना कितना किया जाएगा इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को निर्णय लेना है। 
 अगली सुनवाई 17 फरवरी 2021 को ।
रिफाइनरी पर जुर्माना कितना लगा है इस बारे में कुछ नही कहा जा सकता। उनकी एनजीटी में वकील से बात हुई है। उन्होंने जानकारी दी है कि मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी 2021 को होगी।
शैलेंद्र अरोड़ा, रिजनल ऑफिसर एचएसपीसीबी पानीपत ।

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