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Friday, 16 October 2020

सरकार का चावल ना लौटाने पर राइस मिल सील, राइस मिलर्स को देना था लगभग 37 करोड़ का चावल, डीएफएससी की बड़ी कार्रवाई

राइस मिलर्स का आरोप-फिजिकल वैरिफिकेशन में मिला था स्टॉक पूरा, डीएफएससी ने विरोधी राइस मिलर्स के साथ मिलकर किया है करोड़ों का घोटालाघरौंडा: प्रवीण कौशिक
सरकार का चावल न लौटाने पर जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने कैमला रोड स्थित जय हनुमान राइस मिल व एसएसजी फूड पर बड़ी कार्रवाई करते हुए मिल को सील कर दिया है। डीएफएससी के मुताबिक, राइस मिल को करीब 37 करोड़ रुपए का राइस 15 अक्तूबर तक सरकार को वापिस करना था लेकिन मिल चावल वापिस नहीं करवा पाया। जिस पर जिला उपायुक्त के निर्देश पर डीएफएससी ने कार्रवाई की।  जबकि राइस मिल मालिक ने डीएफएससी निशांत राठी पर गंभीर आरोप लगाए है। मिल मालिक का आरोप है कि डीएफएससी ने कुछ विरोधी राइस मिलर्स से मिलकर करोड़ों का घोटाला किया है। सरकार व प्रशासन द्वारा करवाई गई फिजिकल वैरिफिकेशन में किसी तरह की कोई कमी नहीं पाई गई थी।शुक्रवार को जिला उपायुक्त के निर्देश पर डीएफएससी निशांत राठी, ड्यूटी मैजिस्ट्रेट दलेल सिंह व अन्य अधिकारियों के साथ कैमला रोड स्थित जय हनुमान राइस मिल में पहुंचें। डीएफएससी ने मिल में रखा सारा स्टॉक कब्जें में ले लिया और तीन फर्मो के गोदामों को सील कर दिया। विभागीय कार्रवाई के चलते राइस मिल में हड़कंप मचा रहा। निशांत राठी के मुताबिक, जय हनुमान राइस मिल में तीन यूनिट चल रहे है। जिसमें जय हनुमान, जगशन व एसएसजी फूड के नाम शामिल है। वर्ष 2019-20 में सरकार ने जय हनुमान राइस मिल व एसएसजी फूड को धान मिलिंग के लिए दिया गया था, लेकिन इन दोनों फर्मा ने सरकार का पूरा चावल वापिस नहीं दिया। चावल वापिस को लेकर डीएफएससी कार्यालय की तरफ से दोनों फर्मो को 17 बार रिमाइंडर दिए गए और कई बार मीटिंग भी की गई। इतना ही नहीं भारत सरकार ने भी दो बार टाइम पीरियड़ बढ़ाया लेकिन तब भी इन फर्मो ने पूरा चावल नहीं दिया। दोनों फर्मो की वजह से डिपार्टमेंट को लगभग 37 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जिसकी डीएफएससी कार्यालय ने वीरवार को एफआईआर दर्ज करवाई थी। दोनों मिलों के माल को कब्जे में लिया गया है और मिल सील कर दी गई है ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके।
फिजिकल वैरिफिकेशन में पाया गया था स्टॉक पूरा-
राइस मिल मालिक गौरव कुमार ने डीएफएससी की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए है। गौरव कुमार का कहना है कि सरकार व फूड सप्लाई विभाग हरियाणा के आदेश पर दिसंबर 2019 से लेकर जुलाई 2020 तक तीन/चार बार सभी राइस मिलों की स्टॉक/माल की फिजिकल वैरिफिकेशन करवाई गई और अंतिम फिजिकल वैरिफिकेशन बीती 10 जुलाई को हुई थी, जिसमें उनकी सभी मील प्रमिसिज में धान व चावल का स्टॉक पूरा पाया गया था।
पिता की मौत से सदमें में था, ऐसे में कैसे उठा सकता हूं चावल-
23 जुलाई को उनके पिता को हार्ट अटैक हुआ और 3 अगस्त को मृत्यु हो गई। गौरव का आरोप है कि उसके पिता की मृत्यु के तुरंत बाद ही डीएफएससी करनाल निशंात राठी ने उनके विरोधी राइस मिलर्स से मिलकर जय हनुमान राइस मिल के खाली लैटर हेड पर लिए गए मेरे साइन के कागजात पर तीनों मीलों में से माल उठाने का अथॉरिटी लेटर बीती चार अगस्त को बनाया और पांच अगस्त को ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रालियों से माल उठा लिया। गौरव का कहना है कि तीन अगस्त की शाम तक वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में था और गहरे सदमें में था ऐसे में वह कैसे कोई अथॉरिटी लेटर चार अगस्त को जारी कर सकता।
गौरव का आरोप है कि डीएफएफसी निशांत राठी ने कोर्ट में लगभग 54 हजार क्विंटल पीआर जीरी का रिकॉर्ड दिया है। जबकि मौके से उनकी तीनों मिल प्रमिसिज में से लगभग 1.80 लाख क्विंटल माल उठाया गया। इसके अलावा लगभग 70 हजार क्विंटल चावल व 33 हजार क्विंटल जीरी का स्टाक उठाया गया है। मिलों से उठाए गए जीरी व चावल में लगभग 45 से 50 करोड़ रुपए का घोटाला किया है।
वर्जन-
सरकार की तरफ से बीती 31 अगस्त को तक का टाइम दिया गया। जिसको बढ़ाकर सरकार ने 15 अक्तूबर कर दिया था। राइस मिलर्स को दर्जनों बार रिमाइंडर दिए गए और मीटिंग की गई। लेकिन राइस मिलर्स ने चावल वापिस नहीं किया। अंतत: 25 दिन पहले एफआईआर करवाई गई। जिसके बाद मिलर्स गौरव अंडरग्राउंड हो गया। जितना चावल राइस मिल से मिला था उतना ही आगे जमा करवा दिया गया था। अब राइस मिलर्स अपने बचाव में कुछ भी बोल सकता है।
-निशांत राठी, डीएफएफसी करनाल

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