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Monday, 15 January 2018

25 लाख की लागत से तैयार की गई सरकारी स्कूल की ईमारत पशु बाड़े में तबदील

गांव रेंरकलां में  सरकार की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण

घरौंडा: प्रवीण कोशिक
गांव रेंरकलां में लगभग 25 लाख की लागत से तैयार की गई सरकारी स्कूल की ईमारत पशु बाड़े में तबदील हो चुकी है। छात्र-छात्राओं के लिए बनाए गए कमरों में पशु बांधे जाते है और स्कूल का मैदान उपलों से भरा पड़ा है। आलम यह है कि लाखों रुपए की लागत से तैयार हुई स्कूल की बिल्डिंग बिना प्रयोग किए ही खंडर में बदल रही है। हैरानी की बात यह है कि कमरों की कमी के चलते स्कूली छात्र मैदान में बैठने को मजबूर है। बावजूद इसके ना तो शिक्षा विभाग और न ही स्कूल प्रबंधन ने इस ईमारत की सुध ली है। 
गांव रेंरकलां के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में वर्ष 2016 में एसएसए द्वारा छह कमरों का निर्माण किया गया था। कमरें बनकर तैयार है लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद भी स्कूल के छात्रों को छत नसीब नही हुई है। शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते सरकारी स्कूल की यह नई नवेली ईमारत अवैध कब्जों की जद में है। ग्रामीणों ने स्कूल के कमरों व प्रांगण पर पूरी तरह से कब्जा जमा रखा है। स्कूल के कमरों व बरामदों में गाय व भैंसे बांधी जाती है। जिससे कमरें पूरी तरह से बदहाल हो चुके है। इतना ही नही, कमरों के बाहर पड़े मैदान में महिलाएं गोबर के उपले बनाती है। बीते करीब एक वर्ष से सरकारी स्कूल की ईमारत के यह हालात है, लेकिन कोई भी विभागीय अधिकारी इसकी सुध लेने को तैयार नही है। हालांकि गांव के स्कूल में कमरों की कमी है। जिससे कारण स्कूल में पढऩे वाले छात्रों को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। 
स्कूल दे रहा है गंदगी का संदेश
स्कूल में सर्व शिक्षा अभियान के तहत छह कमरों के निर्माण करीब 25 लाख रुपए की राशि खर्च की गई है लेकिन आज तक इन कमरों की कोई चारदीवारी नही की गई है। लिहाजा, स्कूल की इस बिल्डिंग में ग्रामीणों व पशुओं को बेरोकटोक आवागमन है। चारदीवारी न होने के कारण लाखों रुपए की लागत से बनाई गई बिल्डिंग कूड़ेदान में तबदील हो चुकी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि देश में जहां स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे है, वहीं रेंरकलां का सरकारी स्कूल लोगों को गंदगी व बीमारी का संदेश दे रहा है। 
दो बार हो चुकी है रंग-रोगन
एस.एस.ए. द्वारा बनाए गए कमरों व खिडक़ी दरवाजों पर शिक्षा विभाग दो बार रंग रोगन करवा चुका है। इमारत पुताई पर हजारों रुपए खर्च किए गए है। लेकिन इनमें कक्षाएं लगना आज तक संभव नही हो पाया है। कमरों में पशु बांधे जाने से एक बार फिर कमरों का रंग रोगन खराब हो चुका है। स्कूल प्रबंधकों द्वारा इस नए भवन की ओर कोई ध्यान न दिए जाने से कुछ शरारती तत्वों ने कमरों के खिडक़ी व दरवाजे भी उखाड़ दिए है। 
वर्जन -
इस बारे में स्कूल प्राचार्य सोमवीर सिंह ने कहा कि नए बने कमरों की कोई चारदीवारी नही है। जिस वजह से ग्रामीणों ने नाजायज तरीके से कमरों में पशु बांध रखे है। कई बार आलाधिकारियों को बिल्डिंग की चारदीवारी किए जाने के बारे में लिखा गया है। 
-सुषमा कुश, बीईओ, मतलौडा
स्कूल की इमारत की दुर्दशा के बारे में कोई शिकायत मुझे प्राप्त नही हुई है। सरकारी स्कूल में पशु बांधना गलत है, वे इस मामले की जांच करेंगी। 

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