सरकार द्वारा सीएचसी के माध्यम से कृषि यंत्र खरीदने के लिए 80 प्रतिशत तक दिया जा रहा है अनुदान, घरौंडा की नई अनाज मंडी में आयोजित किया किसान मेला
विधायक एवं हैफेड के चेयरमैन हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि किसान अपने खेतों में फसल के बाद बचे अवशेषों को न जलाएं बल्कि उसको खेत में ही नष्ट कर दें, इसके लिए प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को चाहिए कि वे वातावरण को साफ-सुथरा बनाए रखने और खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजना का लाभ लें, भूलकर भी खेतों में बचे अवशेषों को न जलाएं और मानव जीवन को स्वस्थ रखने के लिए अपने खेतों में पेस्टीसाईडस का प्रयोग कम से कम करें।
विधायक मंगलवार को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा आयोजित किसान मेले में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले विधायक हरविंद्र कल्याण, विभिन्न संस्थानों से पहुंचें वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह, डॉ. रितेश शर्मा, डॉ. राकेश सेठ, डॉ. वीपी सिंह, एके गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित करके मेले की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए बीमारियां बढ़ रही हैं, चारों तरफ हाहाकार मिचा है। जीव जंतु भी दूषित पर्यावरण में सुरक्षित नहीं है, हमें चाहिए कि हर व्यक्ति पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाएं और अपने खेतों में फसलों के अवशेषों को न जलाएं बल्कि सरकार द्वारा चलाई गई योजना का लाभ उठाएं। सरकार द्वारा सीएचसी के माध्यम से किसानों को 25 लाख रुपये तक कृषि यंत्र खरीदने के लिए 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है और अकेले किसान को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। यह ऐसे कृषि यंत्र हैं जो फसल के बाद अवशेषों को खेत में ही नष्ट कर देते हैं। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे अधिक उत्पादन की होड़ में अधिक खाद व पेस्टीसाईड का प्रयोग न करें, यह सीधा मानव जीवन के लिए घातक है, किसान मानव का रक्षक है, भक्षक नहीं।
किसान मेले में वीर राईस मिल के संचालक सुशील जैन, संजय जैन व अतुल धंधारिया ने आए हुए अतिथियों का फूल मालाओं से स्वागत किया।
बॉक्स: जनहित में पेस्टीसाईड का प्रयोग खतरनाक, खेतों में न जलाएं फसल अवशेष व पर्यावरण को बचाने में किसान करें सहयोग, - डबास
किसान मेले में कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य डबास व अन्य वैज्ञानिकों ने पेस्टीसाईड का खेतों में कम प्रयोग करने व फसल अवशेषों को खेतों में न जलाने के लिए किसानों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि किसान धरती पुत्र होता है, किसान ही अपनी मेहनत से जीव जंतुओं व मनुष्य का पेट भरता है। मनुष्य को पेस्टीसाईड के बढ़ते प्रयोग को रोकना होगा और जनहित के लिए आगे आना होगा तभी समाज का भला हो सकता है। डॉ. डबास ने कहा कि किसान अपने खेतों फसलों के अवशेष न जलाएं बल्कि मशीनों द्वारा इन अवशेषों को खेतों में ही नष्ट कर दें, इसके प्रयोग में होने वाली मशीनों के लिए सरकार द्वारा 80 प्रतिशत का अनुदान ऋण दिया जा रहा है, करनाल जिले में 120 सीएचसी बनाई गई हैं जिसके माध्यम से किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए ऋण दिया जा रहा है।
निर्यातकों को उठाना पड़ा कदम-
किसान मेले में बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रीतेश शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष 127 लाख टन चावल निर्यात किया गया था। जिसमें 41 लाख टन बासमती चावल शामिल था और इसी बासमती चावल से ज्यादा करीब 27 हजार 777 करोड़ रुपए सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा आती है। यदि हमारा चावल निर्यात नही होगा तो यह विदेशी मुद्रा नही आएगी। उन्होंने कहा कि जनवरी माह में यूरोप में देश नही खरीदा गया। जिसका फायदा दूसरे देशों को मिला। आज पेस्टीसाईड इतनी बड़ी समस्या बन गई है कि निर्यातकों को पेस्टीसाईड खत्म करने के लिए किसान मेलो का आयोजन करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि खेतों में पेस्टीसाईड का इस्तेमाल एक गंभीर समस्या है, लेकिन इतनी भी गंभीर नही है कि इसका समाधान ही ना किया जा सके, जरूरत है तो शिक्षित और जागरूक होने की
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