राजा कर्ण की पावन धरती पर ऐसे ऐसे कर्ण अवतार लेते हैं जिनके बारे में सोच कर भी रूह कांप जाती है।
ऐसा ही एक परिवार में 22 अगस्त 2018 दोपहर 1:00 बजे के करीब बच्चे ने जन्म लिया परिवार में खुशी का माहौल था। इंफेक्शन के कारण डॉक्टर ने बच्चे को चंडीगढ़ रेफर कर दिया मात्र 35- 36 घंटे के दौरान बच्चा प्रभु को प्यारा हो गया माता-पिता के ऊपर मानो पहाड़ टूट पड़ा।
सुबह 2:00 बजे प्रभु को प्यारा हो गया पिता ने उस बच्चे को धरती माता की गोद में सुलाने के लिए अर्जुन गेट स्थित श्मशान घाट, करनाल में लेकर आए।
वहां पर जन सेवा दल, माधव नेत्र बैंक अपना आशियाना आश्रम के सेवादार सेवा का कार्य कर रहे थे। उस पिता ने रोते-बिलखते उस बच्चे को दफनाने की प्रक्रिया प्रारंभ की तो सेवादारों के अथक प्रयास एवं प्रार्थना से उसके पिता एवं रिश्तेदारों को नेत्रदान के लिए पुकार की।
पिता ने अपने मन में विचार किया कि मेरे घर का चिराग बेशक बुझ गया है लेकिन दो अंधे परिवारों के चिराग जल उठेंगे ऐसा मन के अंदर संकल्प लेकर उन्होंने स्वीकृति प्रदान की। वहां सेवा कार्य के अंदर श्री बाली जी, श्री दीपक जी, श्री गिरिधर जी, श्री बग्गा जी एवं परिवार के अंदर उनके पिता श्री मनोज कुमार जी वा संबंधी श्री रोहित जी एवं और अन्य रिश्तेदार भी उपस्थित थे।
श्मशान घाट के अंदर ही मृत्यु उपरांत उस बच्चे का नाम भी रखा गया परिवार ने उस बच्चे का नाम शिव रखा क्योंकि वह मृत्यु उपरांत भी जीवित हो उठा अपने दो नेत्रों का दान करके तो भोले बाबा जी के पवित्र चरण कमलों में उस बच्चे को वहां स्थान मिला और उसके नेत्रों से 2 अंधे लोगों को जीवन मिल सकेगा।
🙏 हमें समाज में ऐसे लोगों से उनके त्याग से प्रेरणा लेनी चाहिए कि अपने शरीर को जलाकर कुछ भी प्राप्त नहीं होगा अगर जाते-जाते भी नेत्रों का दान व शरीर का दान कर सकें तो इससे बढ़कर महानता एवं त्याग की भावना क्या होगी नेत्रदान देहदान हेतु संपर्क करें संस्था की हेल्पलाइन नंबर 9416 110073.
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