राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के सहयोग से हरियाणा पुलिस अकादमी के हर्षवर्धन सभागार में मानवाधिकार के प्रति जागरूकता हेतु आज एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में हरियाणा की विभिन्न पुलिस ईकाईयों से आए 62 पुलिसकर्मियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ हरियाणा पुलिस अकादमी के निदेशक केके सिंधु के निर्देश पर अकादमी के जिला न्यायवादी शशिकांत शर्मा ने किया। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में सहायक प्रोफेसर अंजू चौधरी ने मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिभागियों का मार्गदशन किया।
अंजू चौधरी ने कार्यस्थल पर यौन हिंसा रोकथाम, घरेलू हिंसा से संरक्षण, लिंग पहचान निषेध काूनन के बारे में अपनी बात रखते हुए कहा कि किसी भी प्रकार के शोषण से मुक्त रहना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और सरकार का मौलिक कत्र्तव्य कि वह अपने नागरिकों को शोषण से बचाए। विशाखा मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों तथा बाद में कार्य स्थल पर यौन हिंसा को रोकने के लिए 2013 में बने कानून के द्वारा महिलाओं को कार्य स्थल पर होने वाले शोषण से बचाने का प्रयास है। इस कानून के तहत प्रत्येक महिला जो घर से दूर किसी भी कार्य करने के स्थान चाहे वह स्वयं कार्य करने जाती है या किसी भी कारण से उस स्थान पर उसका जाना होता है, उसे इस कानून के तहत संरक्षण प्राप्त है। जहां किसी संस्थान में कम से कम 10 कर्मचारी काम करते हैं वहां पर आंतरिक शिकायत समिति तथा अन्य जगह के लिए स्थानीय शिकायत समिति का गठन पीडि़त महिला की शिकायत सुनने के लिए किया गया है। सामान्यत शिकायत घटना के तीन महीने के अंदर की जानी चाहिए। शिकायत प्राप्त होने पर आंतरिक या स्थानीय समिति द्वारा मामले पर 90 दिन के अंदर निर्णय करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी महिला को गंदे चित्र दिखाना, यौनिक टिप्पणियंा करना, कार्य स्थल पर उसके लिए ऐसा माहौल पैदा करना कि वह समर्पण कर दे, उससे किसी यौनिक व्यवहार की मांग करना यौनिक हिंसा की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर यौन हिंसा की झूठी शिकायत करने वाली महिला के खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है। कार्यक्रम में भाग लेते हुए अधिवक्ता रवि चौधरी ने कहा कि हम सभी कार्य स्थल पर आजिविका के लिए करने आते हैं। रिश्तों को परिवार तक ही सीमित रखने, सभ्याचार, नैतिकता और अनुशासन का पालन करने वाले किसी भी पुरुष को कभी भी यौन हिंसा के आरोपों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
हरियाणा पुलिस के जिला न्यायवादी शशिकांत शर्मा, ने कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस कानून की रक्षक है। उसे कानून द्वारा प्रदत्त नागरिक अधिकारों का संरक्षण करने कि जिम्मेदारी दी गई है। माना जाता है कि एक ही समय पर पुलिस मानव अधिकारों की रक्षक और उनका हनन करने वाली नही हो सकती। इसलिए पुलिस कर्मियों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करने और उनकी कानून दक्षता में विकास के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सहयता से यह कार्यशाला आयोजित की गई है।
अकादमी के उप जिला न्यावादी अजय कुमार ने पुलिस सुधारों के माध्यम से मानवाधिकारों का संरक्षण विषय पर तथा अकादमी के प्रशिक्षकों द्वारा मानवाधिकार संरक्षण कानून, मानवाधिकार आयोग के कार्यों व शक्तियों, गिरफ्तारी के लिए कानूनी प्रावधानों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा हिरासत में होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए दिशा निर्देशों, हिरासत में रखे जाने वाले व्यक्ति के अधिकारों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। प्रतिभागियों ने प्रश्रों के माध्यम से कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की।
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