स्पिनिंग मिलों मे हो रहा है मजदूरों का शोषण,
हादसे के बाद मजदूरों को मरने के लिए छोड़ देते हैं मिल मालिक
एसी रूम मे ही पूरी कर जाते हैं औपचारिकता श्रम विभाग के अधिकारी,भूमिका सन्देहात्मक
घरौण्डा:
घरौंडा क्षेत्र मे मिनी पानीपत कहे जाने वाले गांव कोहण्ड मे लगभग दो दर्जन के करीब ङ्क्षस्पनिंग मिले चल रही हैं। जिनमे हजारों की संख्या मे मजदुर काम कर रहे हें। जो बाहरी राज्यों से सालों से यहां रह रहे हैं। चर्चा है कि इन हजारों मजदुरों मे मात्र सेैंकडों के रिकार्ड मिल मालिकों द्वारा बनाये गये हें। बाकी हजारों लोगों का रिेार्ड न हाने से वे शोषण का शिकार हो रहें है। चर्चा है ऐये मजदुरों के साथ कार्य करते समय कोई भयानक हादसा हो जाये तो मिल मालिक अपने गिरेबान को बचाने के लिये उसे अपना कर्मचारी नही बताते । उसे दायें बायें कुछ पैसा देकर गां व छोडने तक को मजबुर कर देते हैं। जिसके कारण उस गरीब मजदुर का परिवार भीख तक मांगने पर मजबुर हो जाता। वर्षों एक मिल मे काम करने का उस मजदुर को ये शिला मिलता है। सांई मन्दिर रोड,फाटक पार,बडसत, कैमला रोड के अलावा अन्य कई स्थानों पर भी व्यापारिक संस्थानों मे मजदुरों का शोषण होने की चर्चाऐं हैं। जिसे मजदुर बाहर कहने से डरते हैं।
चर्चा है कि ये सब श्रम विभाग की नाक तले सरे आम चल रहा है। मिलों मे काम कर रहे हजारों मजदुरों के कोई परिचय पत्र,ईएसआई कार्ड व सरकार द्वारा मजदुरों के हितों मे चलाई जा रही योजनाओं के बारे मे गरीब मजदुरों को कोई जानकारी तक नही दी जाती। भंयकर हादसे मे कई बार मजदुर की जान तक भी चली जाती है। जिसकी कोई रिपोर्ट मिल मालिक थाने तक भी नही पहुंचने देते। ओर डरा धमका कर गरीब को मजबुर कर मामला दबा दिया जाता है। साथ ही सरकार द्वारा घोषित वेतन तक भी इन्हे नही दिया जाता।
चर्चा यहां तक भी है कि कुछ कथित मिलो मे बाल मजदुरी भी धड्डले से यहां हो रही है। जिन्हे किसी बाहरी व्यक्ति के आने से तुरंत वहां से भगा दिया जाता है। कोहण्ड के अलीपुरा रोड व आस पास के कई व्यापारिक संस्थानों मे बाल मजदुरों के कार्य करने की चर्चाएं हैँ। लोगों का यहां तक भी कहना है कि कई व्यापारिक संस्थानों मे बाल मजदुरों से 18-18 घ्ंाटों तक कार्य करवाये जाने की चर्चा है। बंधुआ मजदुरों की तरह भी कई स्थानों पर कार्य करने की चर्चांए हैं।
लोगों का कहना रहा कि कभी कभी श्रम विभाग के अधिकारीयों को इन मिलों मे आते जाते देखा गया है। जो सिर्फ मिल मालिकों के एसी रूम तक ही जाकर कार्य की इतिश्री कर लेते हैं। सारी औपचारिकतांए मिल मालिक बंद कमरे मे ही पुरी कर देते हैं। ऐसी चर्चा आम है। जिससे श्रम विभाग की भूमिका संदेहात्मक नजर आती है।
हादसे के बाद मजदूरों को मरने के लिए छोड़ देते हैं मिल मालिक
एसी रूम मे ही पूरी कर जाते हैं औपचारिकता श्रम विभाग के अधिकारी,भूमिका सन्देहात्मक
घरौण्डा:
घरौंडा क्षेत्र मे मिनी पानीपत कहे जाने वाले गांव कोहण्ड मे लगभग दो दर्जन के करीब ङ्क्षस्पनिंग मिले चल रही हैं। जिनमे हजारों की संख्या मे मजदुर काम कर रहे हें। जो बाहरी राज्यों से सालों से यहां रह रहे हैं। चर्चा है कि इन हजारों मजदुरों मे मात्र सेैंकडों के रिकार्ड मिल मालिकों द्वारा बनाये गये हें। बाकी हजारों लोगों का रिेार्ड न हाने से वे शोषण का शिकार हो रहें है। चर्चा है ऐये मजदुरों के साथ कार्य करते समय कोई भयानक हादसा हो जाये तो मिल मालिक अपने गिरेबान को बचाने के लिये उसे अपना कर्मचारी नही बताते । उसे दायें बायें कुछ पैसा देकर गां व छोडने तक को मजबुर कर देते हैं। जिसके कारण उस गरीब मजदुर का परिवार भीख तक मांगने पर मजबुर हो जाता। वर्षों एक मिल मे काम करने का उस मजदुर को ये शिला मिलता है। सांई मन्दिर रोड,फाटक पार,बडसत, कैमला रोड के अलावा अन्य कई स्थानों पर भी व्यापारिक संस्थानों मे मजदुरों का शोषण होने की चर्चाऐं हैं। जिसे मजदुर बाहर कहने से डरते हैं।
चर्चा है कि ये सब श्रम विभाग की नाक तले सरे आम चल रहा है। मिलों मे काम कर रहे हजारों मजदुरों के कोई परिचय पत्र,ईएसआई कार्ड व सरकार द्वारा मजदुरों के हितों मे चलाई जा रही योजनाओं के बारे मे गरीब मजदुरों को कोई जानकारी तक नही दी जाती। भंयकर हादसे मे कई बार मजदुर की जान तक भी चली जाती है। जिसकी कोई रिपोर्ट मिल मालिक थाने तक भी नही पहुंचने देते। ओर डरा धमका कर गरीब को मजबुर कर मामला दबा दिया जाता है। साथ ही सरकार द्वारा घोषित वेतन तक भी इन्हे नही दिया जाता।
चर्चा यहां तक भी है कि कुछ कथित मिलो मे बाल मजदुरी भी धड्डले से यहां हो रही है। जिन्हे किसी बाहरी व्यक्ति के आने से तुरंत वहां से भगा दिया जाता है। कोहण्ड के अलीपुरा रोड व आस पास के कई व्यापारिक संस्थानों मे बाल मजदुरों के कार्य करने की चर्चाएं हैँ। लोगों का यहां तक भी कहना है कि कई व्यापारिक संस्थानों मे बाल मजदुरों से 18-18 घ्ंाटों तक कार्य करवाये जाने की चर्चा है। बंधुआ मजदुरों की तरह भी कई स्थानों पर कार्य करने की चर्चांए हैं।
लोगों का कहना रहा कि कभी कभी श्रम विभाग के अधिकारीयों को इन मिलों मे आते जाते देखा गया है। जो सिर्फ मिल मालिकों के एसी रूम तक ही जाकर कार्य की इतिश्री कर लेते हैं। सारी औपचारिकतांए मिल मालिक बंद कमरे मे ही पुरी कर देते हैं। ऐसी चर्चा आम है। जिससे श्रम विभाग की भूमिका संदेहात्मक नजर आती है।
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