PARVEEN KAUSHIK
श्रद्धांजलि सभा में स्वतंत्रता सेनानी को किया नमन
करनाल।
देशभक्त संगठन प्रतिमा रक्षा स मान समिति द्वारा भारतीय आजादी आंदोलन के महान स्वतंत्रता सेनानी श्याम जी कृष्ण वर्मा की 87वीं पुण्यतिथि पर मानव सेवा संघ में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा में समिति के देश भक्त सदस्यों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र अरोड़ा के नेतृत्व में श्याम जी कृष्ण वर्मा के चित्र पर पुष्य भेंट कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि श्यामजी कृष्ण वर्मा भारत के उन अमर सपूतों में हैं जिन्होंने अपना स पूर्ण जीवन भारत की आज़ादी के लिए लगा दिया। ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों से त्रस्त होकर भारत से इंग्लैंड चले गए श्यामजी कृष्ण वर्मा ने अपना सारा जीवन भारत की स्वतन्त्रता के लिए माहौल बनाने में और नवयुवकों को प्रेरित करने में लगाया।
श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय क्रांतिकारी, वकील और पत्रकार थे। वो भारत माता के उन वीर सपूतों में से एक हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। इंग्लैंड से पढ़ाई कर उन्होंने भारत आकर कुछ समय के लिए वकालत की और फिर कुछ राजघरानों में दीवान के तौर पर कार्य किया पर ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों से त्रस्त होकर वो भारत से इंग्लैण्ड चले गए। वह संस्कृत समेत कई और भारतीय भाषाओं के ज्ञाता थे। उनके संस्कृत के भाषण से प्रभावित होकर मोनियर विलिय स ने वर्माजी को ऑक्सफोर्ड में अपना सहायक बनने के लिए निमंत्रण दिया था। उन्होंने 'इंडियन होम रूल सोसाइटीÓ, 'इंडिया हाउसÓ और 'द इंडियन सोसिओलोजिस्टÓ की स्थापना लन्दन में की थी। इन संस्थाओं का उद्देश्य था वहां रह रहे भारतीयों को देश की आजादी के बारे में अवगत कराना था। श्यामजी ऐसे प्रथम भारतीय थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड से एम.ए. और बार-एट-लॉ की उपाधियां मिलीं थी।
श्याम जी कृष्ण वर्मा की मृत्यु पर भगत सिंह ने जेल में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की थी। श्याम जी कृष्ण वर्मा का आज़ादी आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था। वह देश की आजादी के लिए तिल तिल जले थे।
श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियां मृत्यु के पचास से भी अधिक वर्षो के बाद नरेंद्र मोदी के प्रयासों से भारत में लाई गई।
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