* सरकार भले ही स्वच्छता अभियान के तहत बेरोजगारों को रोजगार दे रही है लेकिन ठेकेदार व अधिकारी कर्मचारियों का शोषण करने से बाज नही आ रही है। सफाई कर्मचारियों ने ठेकेदार पर पूरी तनख्वाह न देने के गंभीर आरोप लगाए गए है।
सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि उनके वेतन से लगभग चार हजार रुपए तक की बेवजह कटौती की जा रही है। नपा अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद प्रशासन मौन है। *
* स्वच्छता अभियान के तहत चल रहे स्वच्छ सर्वेक्षण में शहर को स्थान दिलाने के लिए नगरपालिका ने शहर की सफाई व्यवस्था पर लाखो रूपये खर्च किए है। लेकिन नगरपालिका के सफाई ठेकेदार ने ही स्वच्छता अभियान पर घोटाले का कीचड़
उछाल दिया है। सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि उनकी तनख्वाह में धांधली करके ठेकेदार अब तक लाखों रूपये डकार चुका है। दरअसल सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए नपा प्रशासन ने डीसी रेट पर ठेकेदार के माध्यम से 40 सफाई कर्मचारियों को नियुक्त किया था। नियमों के मुताबिक एक सफाईकर्मी को प्रतिमाह 12 हजार 100 रूपये दिए जाने थे। ठेकेदार ने उसके अधीन काम कर रहे किसी भी कर्मचारी को पूरा वेतन नहीं दिया। सफाई कर्मियों का आरोप है कि उन्हें हर महीने सिर्फ 8,100 रूपये ही दिए जाते है, उनकी सैलरी के चार हजार रूपये ठेकदार हड़प कर जाता है। ठेकेदार पर लगे आरोपों के अनुसार नपा ठेके में हर महीने करीब डेढ़ लाख का घोटाला किया जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि कई महीनों से उनका पीएफ भी जमा नहीं किया जा रहा। डीसी रेट हासिल करने के लिए सफाईकर्मी कई बार अधिकारियों को शिकायत कर चुके है। इतना ही नहीं उनके साथ हो रही इस धांधली के खिलाफ कर्मचारी रोष मार्च भी निकाल चुके है, बावजूद इसके ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं गई। नगरपालिका में सरेआम हो रहे लाखों के इस घोटाले पर प्रशासन की चुप्पी कई तरह के सवाल खड़ी करती है। *
*-देवेंद्र नरवाल, सचिव, नपा घरौंडा*-
* कर्मचारी ठेकेदार के अधीन है और सरकार ठेकेदार को डीसी रेट के अनुसार पूरा भुगतान करती है। दिसंबर माह पता चला था कि ठेकेदार कर्मचारियों की पूरी पेमेंट नही कर रहा है। ठेकेदार को पूरी पेमेंट कर्मचारियों के खाते में जमा करवाने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया था और दिसंबर माह के बाद ठेकेदार की पेमेंट रोक लीगई है। *
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