आयुर्वेद जागृति मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मुकेश अग्रवाल ने कहा कि आयुर्वेदा विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। जिसके अंदर हर बीमारी का वैज्ञानिक तरीके से इलाज संभव है जब से सृष्टि बनी है, तब से आयुर्वेद मानव जाति जे स्वास्थ्य की रक्षा एवं चिकित्सा करता आया है। हमारे वेदों से आयुर्वेद निकला है, अथर्ववेद का इसे अंग कहा जाता है। आयुर का मतलब होता है किसी व्यक्ति की उम्र और वेद का मतलब होता है विज्ञान यानी हमारे जीवन के विज्ञान को आयुर्वेद कहा जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा करने के साथ-साथ लोगों को जीने का सही तरीका भी सिखाता है। इसे पूरे विश्व के अंदर अलग सम्मान प्राप्त है।
एलोपैथिक और आयुर्वेद के बीच चल रहे विवाद पर बोलते हुए डॉ मुकेश अग्रवाल ने कहा कि जब इस तरह के विवाद होते है तो एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते हैं। जब हम एक दूसरे का विरोध करने के लिए आते हैं तो कुछ बातें गलत भी कहीं जाती है जो कि नहीं कही जानी चाहिए, फिर चाहे वह बाबा रामदेव की तरफ से आई हो या फिर आई एम ए की तरफ से आई हो।
दुनिया की कोई भी चिकित्सा पद्धति हो उसका सिर्फ एक ही उद्देश्य होता है कि वह मानव की सेवा कर सके और उसके स्वास्थ्य की रक्षा कर सके, इसीलिए हर चिकित्सा पद्धति को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए एलोपैथिक को आयुर्वेद का इसलिए सम्मान करना चाहिए क्योंकि उसमें क्रॉनिक बीमारियों का बहुत बेहतर व वैज्ञानिक इलाज उपलब्ध है। वही आयुर्वेद को एलोपैथिक का इसलिए सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि काल के प्रभाव में एलोपैथिक ने बहुत ही तेजी से प्रगति की है और इमरजेंसी चिकित्सा और आधुनिक सर्जरी जैसी चीजें दी है, हालांकि सर्जरी आयुर्वेद से ही निकला है। महर्षि सुश्रुत ने अपनी सुश्रुत संहिता के अंदर बहुत सी ऐसी सर्जरी का उल्लेख किया है, जिनको आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने उधार लिया है या फिर यूं कहें कि उस के अंदर कही न कही आयुर्वेद का पक्ष विद्यमान है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकटकाल के दौरान इस तरह के विरोधाभास नहीं होने चाहिए। कोरोना एक वैश्विक महामारी है, इस समय प्रत्येक चिकित्सा पद्धति का यह उद्देश्य होना चाहिए कि हम मिल जुलकर इस संकट से लड़े। जिस भी चिकित्सा पद्धति के पास जो बेहतर इलाज है वह लेकर आए और एक समर्पण भाव से मानव जाति की सेवा करे।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद जागृति मिशन इस बात का पक्षधर रहा है कि सभी चिकित्सा पद्धति एक मंच पर आए और एक दूसरे का सम्मान करें। आयुर्वेदा के पास इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए वे चीजें है जो एलोपैथी के पास नहीं है। हम बीमार ही ना हो, बचाव की थेरेपी आयुर्वेदा के पास ज्यादा बेहतर है। क्यूरिटिव थेरेपी दोनों के पास बेहतर है, इसलिए दोनों मिलजुल कर काम करे। आयुर्वेदा के पास ऐसी औषधियां भी है जो इमरजेंसी में बहुत अच्छी तरह से काम करती है। सरकार को आगे आना चाहिए और अनुसंधान परक आयुर्वेदा मेडिसिन को विकसित करे और एक ऐसा फोरम बनना चाहिए, जिसके अंदर आयुर्वेद और एलोपैथी के चिकित्सक और अनुसंधानकर्ता हो। राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी बॉडी का गठन हो, जो सारी की सारी चिकित्सा पद्धतियो को कंपेरहंसिव तरीके से लोगों के सामने लेकर आये। इससे एक ऐसी चिकित्सा पद्धति का निर्माण हो सकता है जिसके अंदर दोनों के गुण विधमान हो।
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