गाँव बहलोलपुर व शाहपुर में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अन्तर्गत ओडीएफ प्लस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन |
स्वच्छता कामेटी के सदस्यों के साथ गांव की फिरनी का भ्रमण भी किया गया, फिरनी पर गन्दगी के ढेरों का अवलोकन किया गया
करनाल :- डॉ प्रवीण कौशिक
उपायुक्त करनाल निशांत कुमार यादव के मार्गदर्शन में व मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव कुमार के निर्देशानुसार में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वारा गाँव बहलोलपुर में राजकीय विघालय व गांव शाहपुर में ग्राम सचिवालय में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अन्तर्गत ओडीएफ प्लस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में मुख्या व्यक्ता के रूप में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से सहायक समन्वयक तकनीकी राजीव कुमार शर्मा ने शिरकत की | कार्यक्रम में ग्राम स्वच्छता कामेटी के सदस्यों ने भी शिरकत की |
सहायक समन्वयक तकनीकी राजीव कुमार शर्मा ने ग्रामीणों से बातचीत करते हुए कहा कि हमें स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा व हमें अपने जीवन में प्राथमिकता से लेना होगा | हमें स्वच्छता अपने व्यवहार में लानी होगी | तभी हम जीवन जीने का सही सलीखा सीख पायेंगें | ठोस कचरा प्रबंधन आज हमारे गांवों के समक्ष एक चुनौती बनती जा रही है | यदि ठोस कचरे का सही निपटान हो तभी काफी हद तक समस्या हल हो सकती हैं | उसके लिए हमारे ग्रामीणों को थोडा़ सा जागरूक होना होगा | उन्हें अपने अपने घरों में गलनशील कचरे व अगलनशील कचरे को रखने के लिए अलग-अलग कूडे़दान लगाने होंगें | लोगों को ये समझना होगा कि गलनशील कूड़े से हम किस प्रकार ऊतम जैविक खाद प्राप्त कर सकते हैं | जो कि सस्ती और टिकाऊ भी है | जिसको हम अपने बगीचे में या खाली पड़ी जगह मे डाल कर ऊतम व जैविक फल और सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं | गाँव में सबसे बडी समस्या है अगलनशील कचरा जिसमें विशेषकर पॉलिथीन व प्लास्टिक वेस्ट | इनके निपटान के लिए ग्रामीणों को अपने घर पुराने कट्टे में यह इक्ट्ठा करना होगा ताकि पॉलिथीन इधर उधर ना बिखरे | यह पॉलिथीन पी डब्लू डी विभाग को इकट्ठे करके खण्ड स्तर से देना होगा जब भारी मात्रा में वेस्ट पॉलिथीन इकट्ठे हो जायें | सरकार इस पॉलिथीन का उपयोग सड़के इत्यादि बनाने में बखूबी हो सकता हैं | पॉलिथीन विश्व के समक्ष एक बडी़ चुनौती हैं | इसके लिए हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा | पॉलिथीन पूरी दुनिया के लिए एक अभिशाप के समान हैं | यह ना तो गलता हैं और न ही सड़ सकता है | सैंकड़ों सालों बाद भी उसी हालत में रहता हैं | आज हम इसके उपयोग को छोड़ नहीं पा रहे हैं जबकि हमें पता हैं कि यह मानव जाति के लिए कितना हानिकारक पदार्थ है | हम तब तक ओडीएफ प्लस का स्तर स्वच्छता मे हासिल कर सकते हैं , जब तक खुले में शौच मुक्ति के स्तर को बरकरार रखने के साथ- साथ गांव में ठोस व तरल कचरे का निपटान नहीं होता | राजीव कुमार शर्मा ने कहा कि गांव की साफ सफाई की व्यवस्था को मजबूती देने के लिए गांवों का एक रोड मैप तैयार किया गया है जिसके अन्तर्गत सफाई कर्मचारी गांव में 3 दिन डोर टू डोर कूडे कचरे को रेहडी़ के माध्यम से लेंगें | 2 दिन गांव में झाडू व नाली नालों की सफाई का कार्य करेंगें , एक दिन जो घर घर से कूडा़ लिया गया है उसको पृथककरण का कार्य बखूबी करेंगें | जिससे गांव का कचरा व्यवस्थित होगा और गांव में एक व्यवस्था बनेगी | गांव को ओडीएफ प्लस के स्तर को प्राप्त करने में सभी ग्रामवासियों के सकारात्मक सहयोग की आवश्यकता है | ग्रामवासी घरों का कूडा कर्कट बाहर कहीं भी खुले में ना फैंके | ग्राम वासी केवल व्यवस्था बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दे वो अपने घरों का कूडा़ व्यवस्थित कूडे़ दान में गलनशील और अगलनशील कूडा़ अलग अलग रखें ताकि कूडे़ को पृथकरण में दिक्कत ना आयें | घरों के स्तर पर ही कूडा़ अलग अलग हो | यदि इस व्यवस्था को लागू करने में कोई आडे़ आता है उस पर कार्यावाही की जायेगी, इसमें माननीय एनजीटी के आदेशों की व सरकार के निर्देशानुसार अनुपालना करते हुए कार्यवाही व जुर्माने का प्रावधान भी रखा जायेगा |
उन्होंने कहा कि हम सब को राष्ट्र हित में अपनी जिम्मेदारी समझकर एकजुट प्रयास करते हुए अपने गाँव को कचरा मुक्त बनाने का सार्थक पहल करनी होगी | इसमें गाँव के सभी नागरिकों का सहयोग आवश्यक हैं | हमें अपनी शान अपने गाँव को मानना होगा | इस अवसर पर स्वच्छता कामेटी के सदस्यों के साथ गांव की फिरनी का भ्रमण भी किया गया, फिरनी पर गन्दगी के ढेरों का अवलोकन किया गया |
उन्होंने कहा कि हमें स्वच्छता को अपने जीवन में गंभीरता से लाना होगा और आदतों में सुधार लाना होगा | हमें कचरा कूडे़ दान में ही डालना सुनिश्चित करना होगा | एक- एक व्यक्ति के प्रयास से ही गाँव में स्वच्छता आ पायेंगी | स्वच्छता ईश्वर का दूसरा रूप है | हम सब को ये ठानना होगा कि हम ना स्वयं गन्दगी फैलायेंगें और ना ही किसी अन्य फैलाने देंगें | इसके प्रति सजग रह कर जिम्मेदार नागरिक का कर्त्तव्य निभायेंगें | उन्होंने तरल कचरा प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सोख्ते गड्ढे गन्दे पानी की निकासी के लिए सबसे उत्तम और टिकाऊ विकल्प हैं | जहां नालियां या नाले नहीं हैं यह काफी कारगर साबित हो सकती हैं |
इसके साथ- साथ उन्होंने ग्रामीण आंचल में जो व्यक्तिगत शौचालय एकल गड्ढे व सेप्टिक टैंक बने हुए हैं उन परिवारों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करके एकल गड्ढे को दो जालीदार गडढो़ बनवाये जा रहे हैं | जिससे गाँव की स्वच्छता को भी बरकरार रखा जा सकता है | इन जालीदार गडढो़ का फायदा लाभार्थी को बताया जा रहा है | इस तकनीक से सेप्टिक टैंक खाली करवाने के झंझट से बचा जा सकता है और खाली करवाने पर आने वाले खर्चे की भी बचत की जा सकती हैं | भरे गड्ढे से उत्तम किस्म की खाद प्राप्त की जा सकती हैं | जिसको लाभार्थी अपने खेतों में भी डाल सकता है | शौचालय से निकलने वाले ब्लैक वॉटर का भी सही समाधान है | जिसके कारण अधिकतर तालाबों का पानी पशुओं के पीने लायक भी नहीं रहा | इससे तालाबों को भी नया जीवन मिलेगा | सही तकनीक से बनी दो जालीदारनूमा गडढों की शौचालयों की पर्यावरण हितैषी भी हैं |
इस अवसर पर गांव की स्वच्छता कामेटी के सदस्यों ने सहयोग देने का संकल्प दोहराया |
इस अवसर पर राजकीय विघालय से बलविन्द्र, रमन, समाजसेवक लवप्रीत सिंह, पंच नरेन्द्र, नम्बरदार राजबीर, गुरू महिला सहायता समूह की ईंचार्ज कमलेश, ममता देवी,ललतेश, आंगनवाडी़ कार्यकर्ता सुनीता, कुसुम, सुषमा रानी, आशा कार्यकर्ता नीशा रानी, सन्तोष, रेणू, हैल्पर बयंत कौर, रेखा रानी, टयूब्वैल ऑपरेटर सन्दीप सिंह, मुनीष, चौकीदार राजकुमार, कर्मबीर, डीपू होल्डर, सफाई कर्मचारी, मीड डे मिल से व स्वयं सहायता समूह से जुडी़ हुई महिलायें उपस्थित रही |
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