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Tuesday, 15 February 2022

15वीं सदी के महान समाजसुधारक थे संत रविदास (रैदास) - डॉ मुकेश अग्रवाल

डॉ. मुकेश अग्रवाल की कलम से....
अवतरण दिवस पर विशेष
15वीं शताब्दी में उत्तरप्रदेश राज्य के बनारस शहर में 
'मन चंगा ते कठौती में गंगा' जैसे पदों को रचने वाले 
 एक महान संत, कवि एवं समाजसुधारक का जन्म हुआ, जो बाद में अपने आध्यत्मिक गुरु संत कबीर के कहने से भक्ति आंदोलन के प्रणेता संत रामानंद के शिष्य बने। उस काल मे जात पात, छुआ छूत, अंधविश्वास अंधश्रद्धा जैसी कुरीतियां समाज मे बड़े स्तर पर व्याप्त थी। संत रैदास ने इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए
अपने पदों और उपदेशों के द्वारा बहुत काम किया।
इन की शिक्षाओं में मुख्यतः हमें निम्न सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलू दिखाई देते है।

#जात पात का मुखर विरोध: उस समय समाज मे जात पात और छुआ छूत का बोलबाला था, संत रविदास ने अपने पदों के जरिए इन बुराइयों पर कुठाराघात किया। वो कहते है

जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।

#राम रहीम सब एक : वो कहते थे राम, कृष्ण, रहीम, करीम, राघव सब एक ही ईश्वर के अलग अलग नाम है,  किसी को भी भजने से एक ही भगवान की प्राप्ति होती है। ऐसे ही वेद पुराण कुरान सब शास्त्र और ग्रंथ एक ही ईश्वर ने रचे है।

कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा ॥

#अंधविश्वास पर तंज: संत रविदास अंधविश्वासों और अंधश्रद्धा के मुखर विरोधी रहे, उन्होंने समाज मे व्याप्त सारे पाखंडवाद पर अपने पदों के माध्यम से गहरा तंज किया।

तुम कहियत हो जगत गुर स्वामी।
हम कहियत हैं कलयुग के कामी॥

#अभिमान - मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु: वो कहते थे कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु अहंकार ही है, जिसके चलते उसे भगवान के दर्शन नही हो पाते। मनुष्य अभिमान के साथ उस हाथी की तरह हो जाता है जो जमीन पर पड़े शक्कर के कणों को नही खा पाता, जब कि एक बिना घमंड की चींटी उसे खा जाती है। यदि मनुष्य भगवान को पाना चाहता है और असल मे भक्ति में उतरना चाहता है तो उसे अहंकार छोड़ना होगा।

कह रैदास तेरी भगति दूरि है भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर पिपिलक हवै चुन खावै।

#गुरुग्रंथ साहिब में 40 पदों को स्थान: सिखगुरु  अर्जुनदेव जी ने गुरूग्रंथ साहिब में संत रविदास के 40 पदों को स्थान दिया, इससे साबित होता है कि उस समय संत रैदास का समाज मे कितना बड़ा स्थान था।
भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास एक महान समाजसुधारक थे, उनका पूरा जीवन हम सब के लिए प्रेरणास्रोत है।
संत रविदास
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माघ पूर्णिमा को काशी में
था एक संत पैदा हुआ
नाम था रविदास इनका
संवत 1433 में जन्म हुआ ।

समाज की कुरीतियों पर
करारा कुठाराघात किया
जात-पात का अंत करने में
रैदास ने बहुत काम किया ।

अपने रूहानी वचनों से
सब का मन मोह लिया
एकता और भाईचारे से
समाज को नवदर्शन दिया ।

मन चंगा ते कठौती में गंगा
जैसे इन्होंने पद थे रचे
अंधविश्वास अंधश्रद्धा पर
अपनी लेखनी से तंज कसे ।

राम कृष्ण रहीम सब एक 
अलग अलग बस नाम
वेद पुराण कुरान सब ग्रंथ
करते एक का गुणगान ।

अभिमान बड़प्पन तजो
बस तो ही मिलें भगवान
गर अहंकार हावी रहा
ना बन पाओगे इंसान ।

अर्जुनदेव ने गुरुग्रंथ में
दिया 40 पदों को स्थान
रामानंद गुरु मीरा शिष्या
ऐसे थे ये पुरुष महान ।

आओ ऐसे संत के चरणों मे
अपना शीश नवाएं हम
आज जयंती पर मिलकर
श्रद्धा के पुष्प चढ़ाएं हम ।।


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