घरौंडा, प्रवीण कौशिक
एचएसआईआईडीसी क्षेत्र में पेड़ों की कटाई में करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा होने के बाद वन विभाग हरकत में आ गया है। करनाल व पानीपत फोरेस्ट डिपार्टमेंट की टीमें औद्योगिक क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले की छानबीन में जुट गई है। अधिकारियों की माने तो एचएसआईआईडीसी ने पेड़ों की कटाई और मूल्यांकन को लेकर कोई पत्र व्यवहार वन विभाग के साथ नहीं किया। 15 सेंटीमीटर मोटे पेड़ को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है लेकिन एचएसआईआईडीसी ने पेड़ों को काटने के लिए फोरेस्ट डिपार्टमेंट से किसी तरह की इजाजत नहीं ली। पेड़ काटे और बिना कीमत तय किए बेच दिए गए। इतना ही नहीं पेड़ों की कटाई का कार्य सत्ता पक्ष के नेता के इशारे पर होने की बात सामने आ रही है।
बेगमपुर के पास एचएसआईआईडीसी (हरियाणा स्टेट इंड्रस्टियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट) एरिया में करीब एक महा से चल रही वृक्षों की अवैध कटाई का कार्य बंद कर दिया गया है। हालांकि सोमवार को एचएसआईआईडीसी के अधिकारी व ठेेकेदार औद्योगिक क्षेत्र में नहीं पहुंचें लेकिन उन्होंने ट्री ट्रीमिंग का काम रहे श्रमिकों को वापिस लौटने के निर्देश जारी कर दिए। इन मजदूरों की माने तो पेड़ों की कटाई का काम किसी एक ठेकेदार द्वारा नहीं बल्कि तीन-चार ठेकेदारों द्वारा किया गया है। मोटे तने वाले पेड़ों को काटा गया और लकडिय़ों को भी बेच दिया गया। अधिकारी भी पेड़ों को लेकर कुछ कहने से बच रहे है। वही आरोपों में घिरे एचएसआईआईडीसी विभाग के कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने पेड़ो की कटाई के टेंडर को लेकर अनभिज्ञता जताई। पेड़ो की कटाई में हुए करोड़ो के गबन को पेड़ो की कटाई की आड़ में अंजाम दिया गया। सूत्रों की माने तो सत्तापक्ष के एक नेता ने अपने लोगों को काम दिलवाने के लिए एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों से ट्रिमिंग का काम दिलवाया था। बताया जा रहा है कि लगभग 987 एकड़ में फैले इस इंड्रस्टियल एरिया में एक बड़ी पेंट निर्माता कम्पनी को प्लाट बेचने की प्रक्रिया चल रही है। कम्पनी ने चिन्हित किए गए करीबन 70 एकड़ के प्लाट में खड़े पेड़ों व झाडिय़ों को हटाने की मांग रखी थी, जबकि एचएसआईआईडीसी ने पूरे इंड्रस्टियल एरिया में खड़े पेड़ों को कटवाने का कार्य आरंभ कर दिया।
रिकॉर्ड देखा तो पता चला पेड़ पानीपत की जमीन से कटे है-
पेड़ों की अवैध कटाई के मामले ने वन विभाग की नींद उड़ा दी है। सोमवार को करनाल वन विभाग के डिप्टी रेंजर नरेश कुमार, डिप्टी रेंजर महेश कुमार व चार गार्ड मामले की जांच को लेकर पहुंचें। करनाल वन विभाग के मुताबिक, जहां से पेड़ काटे गए है वह एरिया पानीपत वन विभाग के अधीन आता है। जिसके बाद पानीपत फोरेस्ट डिपार्टमेंट से रेंज अफसर जय किशन की अगुवाई में खंड अधिकारी रणबीर, दरोगा अंतराम, गार्ड पंकज और नरेश की टीम मौके पर पहुंच गई और स्थिति का जायजा लिया। जयकिशन बांगड़ ने बताया कि पेड़ काटने से पहले पत्र व्यवहार किया जाता है लेकिन इस मामले में कोई पत्र व्यवहार नहीं किया गया। नियमानुसार 15 सेंटीमीटर से अधिक मोटी टहनियों व पेड़ो को काटा नहीं जा सकता। वन विभाग इसलिए लकड़ी का मूल्यांकन करताा है ताकि लकड़ी को सही कीमत पर बेचा जा सके। जिन पेड़ो को काटा गया है उनकी कीमत करीब चार से पांच हजार आंकी गई है।
क्या कहते है वन अधिकारी-
जब इस संबंध में वन विभाग के रेंज ऑफिसर जयकिशन बांगड़ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वन विभाग ने बेगमपुर के पास स्थित औद्योगिक एरिया के कुछ क्षेत्र में प्लान्टेशन की थी। काटे गये देसी कीकर के पेड़ो की प्लान्टेशन वन विभाग ने नहीं की थी। एचएसआईआईडीसी की तरफ से फारेस्ट विभाग के साथ पेड़ो की ट्रिमिंग, कटाई व लकड़ी की वैल्युवेशन के लिए कोई भी पत्र व्यवहार नहीं किया गया। पेड़ों को काटने और बेचने के बारे में एचएसआईडीसी के अधिकारी ही बता सकते है।
बेगमपुर के पास एचएसआईआईडीसी (हरियाणा स्टेट इंड्रस्टियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट) एरिया में करीब एक महा से चल रही वृक्षों की अवैध कटाई का कार्य बंद कर दिया गया है। हालांकि सोमवार को एचएसआईआईडीसी के अधिकारी व ठेेकेदार औद्योगिक क्षेत्र में नहीं पहुंचें लेकिन उन्होंने ट्री ट्रीमिंग का काम रहे श्रमिकों को वापिस लौटने के निर्देश जारी कर दिए। इन मजदूरों की माने तो पेड़ों की कटाई का काम किसी एक ठेकेदार द्वारा नहीं बल्कि तीन-चार ठेकेदारों द्वारा किया गया है। मोटे तने वाले पेड़ों को काटा गया और लकडिय़ों को भी बेच दिया गया। अधिकारी भी पेड़ों को लेकर कुछ कहने से बच रहे है। वही आरोपों में घिरे एचएसआईआईडीसी विभाग के कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने पेड़ो की कटाई के टेंडर को लेकर अनभिज्ञता जताई। पेड़ो की कटाई में हुए करोड़ो के गबन को पेड़ो की कटाई की आड़ में अंजाम दिया गया। सूत्रों की माने तो सत्तापक्ष के एक नेता ने अपने लोगों को काम दिलवाने के लिए एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों से ट्रिमिंग का काम दिलवाया था। बताया जा रहा है कि लगभग 987 एकड़ में फैले इस इंड्रस्टियल एरिया में एक बड़ी पेंट निर्माता कम्पनी को प्लाट बेचने की प्रक्रिया चल रही है। कम्पनी ने चिन्हित किए गए करीबन 70 एकड़ के प्लाट में खड़े पेड़ों व झाडिय़ों को हटाने की मांग रखी थी, जबकि एचएसआईआईडीसी ने पूरे इंड्रस्टियल एरिया में खड़े पेड़ों को कटवाने का कार्य आरंभ कर दिया।
रिकॉर्ड देखा तो पता चला पेड़ पानीपत की जमीन से कटे है-
पेड़ों की अवैध कटाई के मामले ने वन विभाग की नींद उड़ा दी है। सोमवार को करनाल वन विभाग के डिप्टी रेंजर नरेश कुमार, डिप्टी रेंजर महेश कुमार व चार गार्ड मामले की जांच को लेकर पहुंचें। करनाल वन विभाग के मुताबिक, जहां से पेड़ काटे गए है वह एरिया पानीपत वन विभाग के अधीन आता है। जिसके बाद पानीपत फोरेस्ट डिपार्टमेंट से रेंज अफसर जय किशन की अगुवाई में खंड अधिकारी रणबीर, दरोगा अंतराम, गार्ड पंकज और नरेश की टीम मौके पर पहुंच गई और स्थिति का जायजा लिया। जयकिशन बांगड़ ने बताया कि पेड़ काटने से पहले पत्र व्यवहार किया जाता है लेकिन इस मामले में कोई पत्र व्यवहार नहीं किया गया। नियमानुसार 15 सेंटीमीटर से अधिक मोटी टहनियों व पेड़ो को काटा नहीं जा सकता। वन विभाग इसलिए लकड़ी का मूल्यांकन करताा है ताकि लकड़ी को सही कीमत पर बेचा जा सके। जिन पेड़ो को काटा गया है उनकी कीमत करीब चार से पांच हजार आंकी गई है।
क्या कहते है वन अधिकारी-
जब इस संबंध में वन विभाग के रेंज ऑफिसर जयकिशन बांगड़ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वन विभाग ने बेगमपुर के पास स्थित औद्योगिक एरिया के कुछ क्षेत्र में प्लान्टेशन की थी। काटे गये देसी कीकर के पेड़ो की प्लान्टेशन वन विभाग ने नहीं की थी। एचएसआईआईडीसी की तरफ से फारेस्ट विभाग के साथ पेड़ो की ट्रिमिंग, कटाई व लकड़ी की वैल्युवेशन के लिए कोई भी पत्र व्यवहार नहीं किया गया। पेड़ों को काटने और बेचने के बारे में एचएसआईडीसी के अधिकारी ही बता सकते है।
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