कार्य के लिये आई जनता को कोई भी पानी पिलाने वाला नही है यहां
सरकारी दफ्तरों में जनता के लिए बेहतर सुविधाएं देने का दम भरने के दावे
यहां खोखले नजर आ रहे हैं।
घरौंडा: प्रवीण कौशिक
भले ही प्रदेश सरकार सरकारी दफ्तरों में जनता के लिए बेहतर सुविधाएं
देने का दम भरती हो। लेकिन ब्लॉक समिति कार्यालयों आज भी पुराने ढर्रे पर
चल रहे है। सरकारी अधिकारी के कार्यालयों के बाहर कई-कई कर्मचारी बैठे
रहते है। जोकि घंटी की आवाज सुनते ही अधिकारी के कार्यालय में सेवा के
लिए पहुंच जाते है। लेकिन कुछ ऐसे भी कार्यालय है जहां चतुर्थ श्रेणी
कर्मचारी तो दूर बजाने के लिए घंटी भी नहीं है। हम बात कर रहे है ब्लॉक
समिति कार्यालयों की। जहां पर पानी पिलाने के लिए फोर्थ क्लास कर्मचारी
तक नहीं है। ब्लॉक समिति के चेयरमैन और वॉइस चैयरमेन को अपनी कुर्सी से
उठकर खुद-ब-खुद पानी पीना पड़ता है। हालांकि चेयरमैन के अधीन दर्जनों
ब्लॉक समिति मेंबर कार्य करते है। बावजूद इसके ब्लॉक समिति कार्यालय
सुविधाओं से महरूम है।
नगरपालिका जैसे कार्यालयों में चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की खिदमत में
फोर्थ क्लास कर्मचारी खड़े रहते है। जबकि ब्लॉक समिति कार्यालयों में
सेवा के लिए कोई कर्मचारी ही नहीं है। यहां गरिमामयी पदों पर आसीन
चेयरमैन और वाइस चेयरमैन पानी के कैंपर से खुद ही पानी पीते है। यदि
कार्यालय में सात-आठ मेंबर अन्य व्यक्तियों के साथ काम के लिए आ जाए तो
ऐसी स्थिति में उन व्यक्तियों को खुद ही पानी पीना पड़ता है उनको वहां पर
कोई पानी पिलाने वाला भी नजर नहीं आता। अगर ऐसी स्थिति में चेयरमैन या
वाइस चेयरमैन किसी व्यक्ति को खुद उठकर पानी पिलाते है तो यह उनके पद की
गरिमा के खिलाफ है। और यदि कोई व्यक्ति खुद पानी पीता है या दूसरे को
पिलाता है तो उसे झिझक महसूस होती है। ब्लॉक समिति के चेयरमैन बताते है
कि उनके कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की कोई व्यवस्था नहीं है।
यहां आने वाले व्यक्ति को खुद ही पानी पीना पड़ता है और खुद ही चाय का
ऑर्डर करना पड़ता है। शुरूआती दौर से ही ब्लॉक समिति कार्यालयों की
कमोबेश यही स्थिति है। उनको जिस पद पर आसीन किया गया है उसकी गरिमा बनाए
रखना भी जरूरी है। चेयरमैन का कहना है कि हम कार्यालय में आने वाले किसी
भी व्यक्ति को पानी पिलाने के लिए नहीं कह सकते, क्योंकि यह अशोभनीय है।
इसलिए हम खुद ही अपनी कुर्सी से उठकर पानी पी लेते है। हालांकि कार्यालय
में बैठे लोगों के सामने ऐसा करने में थोड़ी झिझक सी भी महसूस होती है
लेकिन क्या करें प्यासे तो मर नहीं सकते ना। वहीं ब्लॉक समिति के मेंबरों
के मुताबिक यदि कोई मीटिंग होती है तो चतुर्थ कर्मचारी की कोई व्यवस्था
नहीं होती। यहां पर सेल्फ सर्विस है। आओ, गिलास उठाओं, कैंपर खोलों और
पानी पीओ।
वहीं खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी प्रेम कुमार का कहना है कि ब्लॉक
समिति कार्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रखने का कोई प्रावधान सरकार
की तरफ से नहीं है। जरूरत पडऩे पर बीडीपीओ कार्यालय के चतुर्थ कर्मचारी
को ही ब्लॉक समिति कार्यालय में भेज दिया जाता है।
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