आज़ादी के बाद इस गांव में जसबीर बना पहला सरकारी कर्मचारी
खण्ड घरौंडा के डेरा संजय नगर वासी जसबीर सिंह बेरोजगारी का राग अलापने वालों के लिए उदाहरण हैं। जसबीर ¨सह ने अपनी मेहनत से सरकारी नौकरी हॉसिल कर गांव के पहले सरकारी कर्मचारी बन गए हैं। प्रदेश में ग्रुप-डी की परीक्षा पास करने वाले 18,218 उम्मीदवारों में जसबीर सिंह भी एक हैं।
बीएससी पास है जसबीर-
वन विभाग में ग्रुप-डी की नियुक्ति ले चुके जसबीर बीएससी पास हैं। देश की आजादी के बाद यहां खानाबदोश बन रहने वालों का डेरा था, जोकि अब डेरा संजय नगर गांव से विकसित है।
पिता सुरजीत सिंह फेरी लगाते हैं और मां गृहणी है। बीएससी करने के बाद उन्होंने निजी स्कूल में भी बच्चों को शिक्षा दी और साथ ही साथ नौकरी के लिए टेस्ट की तैयारी की। उनके भाई विसप्रीत ने सिविल से डिप्लोमा किया है, जबकि रिंकू बी-टेक कर रहा है। पिता सुरजीत ¨सह के अनुसार चारों बच्चे पढ़ने में होशियार हैं, जिसके चलते आज जसबीर को नौकरी मिली है। जसबीर अपनी सफलता का श्रेय शिक्षक रामपाल को देते हैं।
पिता ने गली-गली घूम पैसे कमा बच्चों को पढ़ाया
जसबीर ने अनुसार वह गरीब परिवार से सबंध रखते हैं और पिता फेरी लगाकर घर का गुजारा करते हैं। प्लास्टिक, छब्बियां, चकला-वेलना आदि सामान बेचते हैं। पिता के साथ हम भाइयों ने भी घर के गुजारे के लिए फेरी लगाई, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी।
इसके लिए स्कूल के शिक्षक रामपाल ने उनका मार्गदर्शन किया। वहीं, शिक्षक रामपाल ने बताया कि दसवीं कक्षा में जब जसबीर की काबलियत को देखा तो इसके लिए कुछ करने की इच्छा हुई। गरीब परिवार से होने के कारण जो मदद हो सकी की गई। पढ़ाई में तेज होने के कारण जसबीर ने साइंस से गेजुएशन की और टेस्ट को भी पास किया। 6200 ग्रामीणों का गांव
सरपंच स्वर्णा देवी के पति जगदीश सैनी का कहना है- गांव में 6200 ग्रामीण रहते हैं और सभी मजदूरी करके पेट भरते हैं। आजादी के समय छोटा सा डेरा था, धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गई। 2005 से पहले बरसत पंचायत के अंतर्गत यह गांव आता था, लेकिन बाद में अलग से पंचायत के चुनाव करवाए जाने लगे। अधिकतर यहां शिकलीगर जाति से संबंधित लोग रहते हैं जोकि फेरी लगा कर गुजारा करते हैं। गांव में एक सरकारी स्कूल है जोकि प्राइमरी तक है, जिसे अपग्रेड किया जा रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चों को करनाल या घरौंडा में दाखिला लेना पड़ता है। जसबीर की कामयाबी गांव के लिए मिसाल है।
इस कारण और लड़कों में भी पढ़ाई करने की इच्छा बढ़ेगी
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